दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन की याचिका पर फौरी आदेश देने से इंकार कर दिया। अलबत्ता, प्रवर्तन निदेशालय से कहा है कि वो अपने उन तर्कों को लिख कर दे जिनसे यह सिद्ध होता है कि 2020 के पूर्वोत्तर दिल्ली दंगों के संबंध में उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के मामले को रद्द करने की मांग करने वाली पूर्व AAP नेता ताहिर हुसैन की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।
ईडी के वकील द्वारा पूर्व आप पार्षद की याचिका की विचारणीयता पर सवाल उठाने के बाद न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने आदेश पारित किया।
उच्च न्यायालय ने मामले को सितंबर में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया और हुसैन के वकील को ईडी के जवाब पर प्रत्युत्तर दाखिल करने की इजाजत दी है। उच्च न्यायालय ने सुनवाई की अगली तारीख तक ट्रायल कोर्ट का रिकॉर्ड भी मांगा।
ताहिर हुसैन की ओर से वरिष्ठ वकील मेनका गुरुस्वामी ने प्रवर्तन मामले की सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर), ईडी के एफआईआर के संस्करण को रद्द करने की मांग की है, जो मार्च 2020 में धारा 3 और 4 के तहत दर्ज की गई थी। हालांकि हाईकोर्ट ने एफआईआर रद्द करने से इंकार कर दिया।
ईडी के वकील ने दावा किया कि इसी तरह की याचिका पहले आरोपी द्वारा दायर की गई थी जिसे उच्च न्यायालय पहले ही खारिज कर चुका है।
हालाँकि, हुसैन के वकील ने इस दलील का विरोध किया और कहा कि पिछली याचिका आरोप तय करने के आदेश के खिलाफ एक पुनरीक्षण याचिका थी जबकि वर्तमान याचिका ईडी की शिकायत को रद्द करने के निर्देश देने की मांग के लिए है।
24 नवंबर, 2022 को उच्च न्यायालय ने मामले में उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप तय करने को चुनौती देने वाली हुसैन की याचिका खारिज कर दी थी।
इसने माना था कि ट्रायल कोर्ट के आदेश में कोई खामी नहीं थी जिसमें कहा गया था कि पीएमएलए के तहत हुसैन के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बनता है।
हुसैन की पिछली याचिका में ट्रायल कोर्ट के 3 नवंबर, 2022 के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसके द्वारा उनके खिलाफ पीएमएलए की धारा 3 और 4 के तहत कथित अपराध के लिए आरोप तय किए गए थे।
ईडी की शिकायत के अनुसार, हुसैन ने फर्जी बिलों के बल पर फर्जी एंट्री ऑपरेटरों के माध्यम से अपने स्वामित्व वाली या नियंत्रित कंपनियों के बैंक खातों से “धोखाधड़ी” से पैसे निकाले।
ईडी की शिकायत में आरोप लगाया गया है कि हुसैन काले धन का अंतिम लाभार्थी था और आपराधिक साजिश के माध्यम से प्राप्त धन का इस्तेमाल फरवरी 2020 में दंगों के दौरान किया गया था।
दिल्ली पुलिस ने दंगों के सिलसिले में हुसैन और अन्य के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत तीन एफआईआर दर्ज की हैं।
एफआईआर के आधार पर, पूछताछ शुरू की गई और ईडी ने 9 मार्च, 2020 को उनके खिलाफ ईसीआईआर दर्ज की।
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