
उत्तराखंड में बिना बारकोड स्केन लगे शराब की टेट्रापैक में शराब को नहीं बेचा जा सकेगा। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा है जब तक सरकार योजना नहीं बना लेती,तब तक टेट्रापैक में शराब नहीं बेची जाएगी।
सरकार के शपथ पत्र के बाद हाई कोर्ट ने ये आदेश दिया है। सरकार ने कोर्ट में कहा कि सरकार ट्रेटा की बोतलों पर QR Scan बारकोड लगा रही है, जिससे इन्हें बाजार में वापस लेने का प्रावधान रखा गया है। कोर्ट ने कहा है कि सिर्फ शराब ही नहीं, बल्कि जूस पानी समेत अन्य सामान में टेट्रापैक पर भी बारकोड लगाने पर अपनी नीति कोर्ट को बताएं।
दरअसल, चंपावत के नरेश चन्द्र की ओर से जनहित याचिका में कहा गया कि सरकार की नई आबकारी नीति के अनुसार शराब के 200एमएल के पैक को टेट्रापैक में बेचने की योजना है। जो सरकार प्लास्टिक वेस्ट नियमावली के विरुद्ध है, जिसकी वजह से पर्यवारण को नुकसान होगा। याचिकाकर्ता की ओर से इस पर रोक लगाने की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि सरकार एक ओर प्लास्टिक कूड़ा पर रोक नहीं लगा पा रही है। दूसरी तरफ, टेट्रापैक में इसे बेचने की अनुमति भी दे रही है। जिसकी वजह से प्रदूषण और बढ़ेगा।
इससे पहले हुई सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा था कि वेस्ट के निस्तारण के लिए सरकार क्या कदम उठा सकती है। इस संबंध में राज्य सरकार ने जवाब में कहा कि इस मामले को सरकार गंभीरता से ले रही है और टेट्रापैक पर बारकोड लगाकर उसे वापस लेने की नीति बना रही है।