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ED की गिरफ्तारी के खिलाफ SC पहुँचे हेमंत सोरेन, कल होगी सुनवाई

Hemant Soren, legally-speaking (1)

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता हेमंत सोरेन ने सेना भूमि घोटाले से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग जांच के संबंध में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे कल तक के लिए टाल दिया।

वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने गुरुवार सुबह भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के समक्ष मामला उठाया, जो शुक्रवार के लिए सुनवाई निर्धारित करने पर सहमत हुए।

सिब्बल ने तर्क दिया, “इसका देश के शासन पर प्रभाव पड़ता है। क्या किसी व्यक्ति को इस तरह से गिरफ्तार करना जायज़ है?”

CJI चंद्रचूड़ ने जवाब दिया, “हम इसे कल के लिए शेड्यूल करेंगे।”

ईडी का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि सोरेन की गिरफ्तारी को पिछले दिन झारखंड उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी, जो उस दिन बाद में इस मुद्दे को सुनवाई के लिए निर्धारित किया गया था।

सिब्बल ने तब कहा कि उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका वापस ले ली जाएगी, “हम इसे वापस ले रहे हैं। हमने कल रात इस पर सुनवाई करने का लक्ष्य रखा था। कृपया सर्वोच्च न्यायालय को निर्णय लेने दें।”

भूमि घोटाला मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में ईडी द्वारा उनकी गिरफ्तारी के बाद, हेमंत सोरेन ने पिछली रात झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में अपने पद से इस्तीफा दे दिया।

मीडिया रिपोर्ट्स से संकेत मिलता है कि हेमंत सोरेन की अनुपस्थिति के दौरान चंपई सोरेन राज्य के मुख्यमंत्री की भूमिका निभा सकते हैं। हालांकि यह राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन पर निर्भर है कि चंपई सोरेन के दावे को कितना मजबूत समझते हैं क्यों कि जेएमएम नीत गठबंधन के कुछ विधायकों में रोष है। इसके अलावा, राज्यपाल के सामने सरकार बनाने का दावा पेश करने के बाद जब चंपई सोरेन बाहर आए तो उन्होंने जो संख्या बल बताया था वो असगर अली के बताए गए संख्याबल से कम था। एक बात यह भी है कि हेमंत सोरेन परिवार के कई सदस्य विधायक हैं, मगर सरकार बनाने का दावा चंपई सोरेन ने किया है। चंपई सोरेन, शिबु सोरेन के पुरानी साथी और जेएमएम के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं मगर उनका शिबु सोरेन-हेमंत सोरेन परिवार से कोई ताल्लुक नहीं है। राज्यपाल, इन्हीं सब आशंकाओं के मद्देनजर संभावित सरकार की दृढ़ता के दावे को अच्छी तरह परखना चाहेंगे।हालांकि सालभर के भीतर झारखण्ड में विधानसभा चुनाव भी होने हैं।

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About the Author: Ashish Sinha

-Ashish Kumar Sinha -Editor Legally Speaking -Ram Nath Goenka awardee - 14 Years of Experience in Media - Covering Courts Since 2008

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