मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग जांच के संबंध में सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय के समक्ष उपस्थित नहीं हुए। आम आदमी पार्टी (आप) ने इस बात पर जोर दिया है कि एजेंसी को बार-बार समन जारी करने के बजाय अदालत के आदेश का इंतजार करना चाहिए।
यह सातवां उदाहरण है जब केजरीवाल ने ईडी के समन को छोड़ने का विकल्प चुना है। एजेंसी द्वारा पिछले सप्ताह मुख्यमंत्री को पूछताछ के लिए सातवां समन जारी किए जाने के बावजूद, केजरीवाल ने समन को “अवैध” बताते हुए लगातार इससे इनकार किया है। उन्होंने पहले ईडी से संवाद कर इन समन को वापस लेने का आग्रह किया था।
एक आधिकारिक बयान में, आप ने घोषणा की कि मुख्यमंत्री ईडी के सामने पेश होने से बचेंगे। ईडी के समन की वैधता के मामले पर दिल्ली की एक अदालत में 16 मार्च को सुनवाई होनी है। आप ने एजेंसी से बार-बार समन जारी रखने के बजाय अदालत के फैसले का इंतजार करने का आग्रह किया है।
ईडी ने सातवां समन जारी करते हुए उन दावों को खारिज कर दिया कि स्थानीय अदालत में मामला विचाराधीन होने के कारण केजरीवाल की उपस्थिति के लिए नया नोटिस अनुचित था।
इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय ने अरविंद केजरीवाल को छह समन जारी किए थे।प्रारंभ में, 2 नवंबर, 2023 को, वह चुनावी राज्य मध्य प्रदेश में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के साथ एक निर्धारित रोड शो का हवाला देते हुए सम्मन पर पेश नही हुए।
दूसरा समन 21 नवंबर को जारी किया गया था, लेकिन केजरीवाल ने यह कहते हुए इसे छोड़ दिया कि उन्हें 10-दिवसीय विपश्यना ध्यान पाठ्यक्रम में भाग लेने की आवश्यकता है।
इसके बाद 3 जनवरी, 2024, 18 जनवरी और 2 फरवरी को समन जारी किए गए। केजरीवाल ने इन सभी समन को “अवैध” और “राजनीति से प्रेरित” प्रकृति का बताते हुए अस्वीकार कर दिया।
उन्हें 19 फरवरी को छठा समन मिला, फिर भी उन्होंने इसे छोड़ने का विकल्प चुना और दोहराया कि मामला अब न्यायिक दायरे में है।