भारत के सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक बहुत महत्वपूर्ण फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी भी जमीन पर कब्जा करके धार्मिक स्थल नहीं बनाया जा सकता। अगर कोई ऐसा धार्मिक स्थल बना हुआ है तो उसे ध्वस्त करना ही होगा। दरअसल, मद्रास उच्च न्यायालय ने दिनांक 22-11-2023 को एक आदेश दिया था कि चेन्नई के कोयम्बेडु में स्थित एक अवैध मस्जिद और मदरसे को ध्वस्त किया जाए। क्यों कि यह बिना अनुमति के सरकार द्वारा अधिग्रहीत जमीन पर बनाया गया था।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने दिया आदेश
मद्रास हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ हैधा मुस्लिम वेलफेयर ट्रस्ट (‘ट्रस्ट’) ने सुप्रीम कोर्ट में एक विशेष अनुमति याचिका दाखिल की। इस रिट पिटीशन की सुनवाई जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस केवी विश्वनाथन पीठ ने की। दोनों पक्षों तर्क और दलीलें सुनने के बाद पीठ इस निष्कर्ष पर पहुंची कि मुस्लिम वेलफेयर ट्रस्ट ने मस्जिद और मदरसे का निर्माण बिना किसी भवन मंजूरी योजना के अवैध रूप से किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि वो उच्च न्यायालय द्वारा जारी निर्देश भारत के संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत शक्तियों के प्रयोग में इस न्यायालय द्वारा कोई हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं। पीठ ने मद्रास हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि मुस्लिम वेलफेयर ट्रस्ट मस्जिद और मदरसे को 31-05-2024 तक वहां से हटा ले।
अनाधिकृत कब्जाधारी है हैधा मुस्लिम वेलफेयर ट्रस्ट-सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता निश्चित रूप से विषयगत संपत्ति का मालिक नहीं है। जिस भूमि पर मस्जिद और मदरसा बनाया हुआ है वो सभी बाधाओं से मुक्त, चेन्नई मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी (‘सीएमडीए’) के अधिकार में है। याचिकाकर्ता हैधा मुस्लिम वेलफेयर ट्रस्ट एक अनाधिकृत कब्जाधारी है और उसने कभी भी भवन निर्माण योजनाओं की मंजूरी के लिए आवेदन नहीं किया है। निर्माण पूरी तरह से अवैध तरीके से किया गया है और 09-12-2020 को सीएमडीए अधिकारियों द्वारा नोटिस दिए जाने के बावजूद अवैध निर्माण जारी रखा। इस प्रकार, सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद को गिराने के उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।
रिट पिटीशन 12224/2021 पर क्या था जस्टिस जे. निशा बानू और जस्टिस एन. माला का आदेश
संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत पिटीशनर एन. दिनाकरन ने रिट याचिका दायर की। जिसमें चैन्नई म्युनिसपल कमिशनर, महानिरीक्षक रजिस्ट्रेशन, महानिरीक्षक पुलिस सहित राज्य के कई अफसरों और अतिक्रमणकारी हैदा मुस्लिम वेलफेयर ट्रस्ट को भी प्रतिवादी बनाया गया था। लगभग 15 पन्नों के आदेश में मद्रास हाईकोर्ट की जस्टिस निशा बानू और जस्टिस एन. माला ने अंत में लिखा है कि हाईकोर्ट अवैध निर्माण और अतिक्रमण को लेकर लगातार चेतावनी देता रहा लेकिन सरकारी अफसरों की उदासीनता अफसोसजनक है। सरकारी अफसरों के यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में बिना स्वीकृत प्लानिंग के अवैध निर्माण न हो।
अवैध मस्जिद को गिराने का खर्चा का खर्च चैन्नई म्युनिस्पल बोर्ड के कमिश्नर अपनी तनख्वाह से भरेंगे
अफसरों की लापरवाही से नाराज मद्रास हाईकोर्ट ने कमिश्नर, चैन्नई म्युनिसपल बोर्ड और सीएमडीए (चैन्नई मेट्रोपॉलिटिन डेवलपमेंट अथॉरिटी) के सचिव अवैध मस्जिद और मदरसे को ध्वस्त करने में होने खर्च की भरपाई अपनी तनख्वाह से करने के आदेश दिए।
तीन हफ्ते में मस्जिद को स्थानांतरित करने और चौथे हफ्ते में स्ट्रक्चर को ध्वस्त करने के थे आदेश
मद्रास हाईकोर्ट ने हैधा मुस्लिम वेलफेयर ट्रस्ट को निर्देशित किया कि मस्जिद और मदरसे को इस आदेश के पारित होने के तीन सप्ताह के भीतर अन्यत्र स्थांतरित करले। चौथे हफ्ते के भीतर चैन्नई म्युनिस्पल बोर्ड के कमिश्नर अवैध मस्जिद और मदरसे को ध्वस्त कर देगा।
सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप से किया साफ इंकार
मद्रास हाईकोर्ट ने आदेश में यह भी लिखा था कि, ‘चूँकि 8वें प्रतिवादी हैदा मुस्लिम वेलफेयर ट्रस्ट को मस्जिद और मदरसे के स्थानांतरण के लिए पर्याप्त समय दिया गया है। इसलिए इसके आगे वो किसी नोटिस का हकदार नहीं होगा।‘ इसी बीच, हैधा मुस्लिम वेलफेयर ट्रस्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ रिट कर दी, मगर उसे सुप्रीम कोर्ट से भी अतिक्रमणकारी-अवैध कब्जाधारी का तमगा ही मिला। हां, समय चार हफ्तों से बढ़कर 31 मई 2024 तक का जरूर मिल गया।
18 करोड़ मुसलमान- 7 लाख मस्जिद (अवैध का डाटा नहीं)
एक वेवसाई साइट की सूचना के अनुसार भारत में 18 करोड़ मुसलमानों की 7 लाख से ज्यादा मस्जिदें हैं। ये वो मस्जिदें हैं जिनका कहीं रिकॉर्ड मिल जाता है। बिना रिकॉर्ड और अनाधिकृत कब्जा करके बनाई गई मस्जिद, मजार और मदरसों की संख्या कहीं अधिक है। जबकि 115 करोड़ आबादी वाले हिंदुओं-सिखों के मंदिर-ठाकुरद्वारे-गुरुद्वारों की संख्या मात्र 20 लाख है। नेपाल से लगी भारत की सीमा के गांवों और शहरों में तो अवैध मस्जिद और मदरसों की बाढ़ आ गई है।
हल्द्वानी की अवैध मस्जिद ढहाने दल के साथ गए सुरक्षाकर्मियों पर पेट्रोल बमों से हमला, थाने और दर्जनों पुलिस वहानों को फूंका
अभी हाल ही में उत्तराखण्ड के हल्द्वानी में सरकारी जमीन पर बने मस्जिद-मदरसे को कोर्ट के आदेश पर हटाने दल और पुलिसबल को घेरकर पेट्रोल बमों-पत्थरों से हमला किया गया। जिसमें कई सुरक्षाकर्मी गंभीर घायल भी हुए थे।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में अनाधिकृत कब्जा और अतिक्रमण कर बने धार्मिक स्थलों को ध्वस्त कर सकती हैं राज्य सरकारें
सुप्रीम कोर्ट के वकील विष्णुशंकर जैन और एडवोकेट विनीत जिंदल का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश भले ही मद्रास राज्य की एक अवैध मस्जिद-मदरसे को ध्वस्त करने के बारे में पारित किया है, लेकिन यह आदेश प्राकृतिक रूप से देश की सभी अवैध और अतिक्रमण करके बनाई गई मस्जिद-मजार और मदरसों पर लागू होता है, इसलिए यूपी, एमपी, उत्तराखण्ड और बिहार ही नहीं बल्कि सभी प्रदेशों की सरकारों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में स्वतः संज्ञान लेकर अवैध और अतिक्रमण कर बनाए गए ऐसे धार्मिक स्थल ध्वस्त करने का अभियान शुरू करना चाहिए।