असम और मेघालय सरकार को शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने मेघालय हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसमें कोर्ट ने असम और मेघालय की सरकारों के बीच सीमा विवाद को खत्म करने के लिए मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टेंडिंग (एमओयू) पर रोक लगा दी थी।
मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने एसजी तुषार मेहता से पूछा हाईकोर्ट में एमओयू को किसने चुनौती दी थी। जिसपर एसजी ने कहा कि कुछ नागरिकों ने, जिस पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। एसजी ने कहा कि कोई सीमांकन नहीं किया गया है। बस एमओयू के तहत सब राजनीतिक फैसले लिए गए थे।
वही याचिकाकर्ता की ओर से वकील ने कहा कि एमओयू संसद के अनुच्छेद 3 के अनुरूप नहीं है। जिसमें राज्यों की सीमा को लेकर प्रक्रिया और नियम हैं। ऐसे में एओयू पर हाईकोर्ट ने रोक लगाई है। 12 क्षेत्रों में कोई सीमांकन दोनों राज्यों में नहीं है। एमओयू में तय किया गया कि विमर्श किया जाएगा। यह एमओयू में 6 क्षेत्रों के लिए किया गया, लेकिन बाकी 6 पर कोई बात नहीं हुई। जहां विकास की ज्यादा आवश्यकता है।
जिसपर सीजेआई ने पूछा आखिर हाईकोर्ट ने रोक का आदेश कैसे दिया।
सीजेआई ने कहा कि हम हाईकोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगाते हैं।
दरसअल दो पूर्वोत्तर राज्यों के बीच सीमा विवाद को लेकर हाई कोर्ट में दायर याचिका में दावा किया गया है की यह संविधान की छठी अनुसूची के प्रावधानों का उल्लंघन करता है, जो आदिवासी क्षेत्रों के प्रशासन के लिए विशेष प्रावधानों से संबंधित है। कुछ दिन पहले ही मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड के संगमा और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने मार्च में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें 12 विवादित स्थानों में से कम से कम छह में सीमा का सीमांकन किया था, जिसकी वजह से अक्सर दोनों के बीच विवाद होता था।