बांदा जेल में बंद गैंगस्टर मुख्तार अंसारी की मौत पर विवाद खड़े होता देख बांदा के चीफ जुडीशियल मजिस्ट्रेट की अदालत ने जांच के आदेश कर दिए हैं। जांच एडिशनल चीफ जुडीशीयल मजिस्ट्रेट करेंगे। पोस्टमार्टम के बाद मुख्तार अब्बास नकवी का बिसरा सुरक्षित रख लिया गया है। मुख्तार अंसारी के बेटे ने आरोप लगाया कि उसके पिता को जेल के भीतर “धीमा जहर” दिया गया था। लगभग १९ साल से जेल में बंद मुख्तार अंसारी की गुरुवार २८ मार्च को उत्तर प्रदेश के बांदा में दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। शुक्रवार २९ मार्च को उसका पोस्टमॉर्टम कराया गया।
उत्तर प्रदेश पुलिस ने कानून-व्यवस्था की स्थिति को रोकने के लिए राज्य भर में निषेधाज्ञा जारी कर दी है। मऊ से पांच बार विधायक रहे मुख्तार अंसारी के खिलाफ 60 से अधिक आपराधिक मामले लंबित थे।
मुख्तार अंसारी के बेटे उमर अंसारी ने दावा किया कि गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी को बांदा जेल में “धीमा जहर” दिया गया था। ऐसा ही दावा अंसारी के भाई और ग़ाज़ीपुर सांसद अफ़ज़ाल अंसारी ने भी किया था। हालांकि जेल और प्रशासनिक अधिकारियों ने इस आरोप से साफ इंकार किया है।
पिछले हफ्ते, मुख्तार अंसारी ने खुद भी शिकायत की थी कि उसे भोजन के साथ कुछ “जहरीला पदार्थ” दिया गया था। मुख्तार अंसारी ने बाराबंकी की एमपीएमएलए कोर्ट में पेशी के दौरान कहा था कि उसे खाना खाने के बाद उनकी नसों और अंगों में दर्द होने लगा। मुख्तार अंसारी को डिहायड्रेशन की शिकायत होने पर जिला अस्पता में भर्ती भी कराया गया था। उसकी मेडिकल रिपोर्ट नॉर्मल आने पर अस्पताल प्रशासन ने वापस जेल भेज दिया था। इससे पहले कोर्ट के सामने बांदा जेल के सुपरिंटेंडेंट ने अदालत को बताया था कि मुख्तार अंसारी सीसीटीवी और सख्त सुरक्षा में रहता है। उसको भी वही खाना दिया गया था जो जेल के बाकी बंदियों को दिया गया था। जेल सुपरिंटेंडेंट ने अदालत से सीसीटीवी फुटेज मंगा कर देखने को भी कहा था। इससे पहले मुख्तार की सुरक्षा में कोताही बरतने के आरोप में जेल के बड़े अफसर समेत कई कर्मचारियों को निलंबित भी किया जा चुका था।
बहरहाल, २८ मार्च की दोपहर मुख्तार अंसारी बेचैनी होने और असहज होने की शिकायत की। जेल के डॉक्टरों ने उसे प्राथमिक उपचार दिया। उसकी तबीयत बिगड़ती देख जेल अधिकारियों ने उसे सरकारी अस्पताल ले जाने की तैयारी की और जिला-प्रशासन को सूचित किया। खबर मिलते ही जिला अधिकारी और पुलिस अधीक्षक जेल परिसर पहुंचे। और बेहोशी के हालात में उसे जिला अस्पताल ले जाया गया। वहां छह डॉक्टरों के पैनल ने उसका इलाज शुरू किया, और रात लगभग साढे नौ बजे उसकी इलाज के दौरान मौत हो गई।