वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यास जी तहखाने में पूजा के खिलाफ मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 1 अप्रैल को सुनवाई करेगा. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी. मुस्लिम पक्ष ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. हाईकोर्ट ने व्यास तहखाने में पूजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था.
31 जनवरी को वाराणसी जिला न्यायालय के फैसले के बाद पूजा शुरू की गई थी. कोर्ट में हिंदू पक्ष ने दावा किया था कि नवंबर 1993 से पहले व्यास तहखाने में पूजा-अर्चना होती थी लेकिन तत्कालीन राज्य सरकार ने इसे बंद करा दिया था. हिंदू पक्ष ने कोर्ट से इस पूजा को दोबारा शुरू करने का अधिकार दिए जाने की मांग की थी. मुस्लिम पक्ष ने पूजा स्थल कानून का हवाला देते हुए याचिका खारिज करने की मांग की थी. लेकिन कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी और हिंदू पक्ष को ज्ञानवापी के व्यास तहखाने में पूजा करने का अधिकार दे दिया.
व्यास जी का तहखाना के नाम से मशहूर इस जगह को 1992 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद सील कर दिया गया था। विध्वंस के तुरंत बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने इस्तीफा दे दिया था। अगले साल विधानसभा चुनाव में मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में सरकार बनी. राज्य सरकार ने तब कानून और व्यवस्था की चिंताओं का हवाला दिया और तहखाने ‘मंदिर’ को सील कर दिया गया।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम पक्ष प्रथम दृष्टया तहखाने पर अपना कब्ज़ा दिखाने में बुरी तरह विफल रहा है। इससे अनिवार्य रूप से तहखाने पर व्यास परिवार के कब्जे के बारे में प्रथम दृष्टया निष्कर्ष निकलता है। मुस्लिम पक्ष ने 1937 के बाद दिसंबर 1993 तक किसी भी समय व्यास परिवार से तहखाने पर दावा नहीं किया।