ENGLISH

डेटा प्रोटेक्शन पर दाखिल याचिका दिल्ली हाईकोर्ट ने की डिसपोज

Data Protection

दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को डेटा प्रोटेक्शन पर दाखिल जनहित याचिका (पीआईएल) को डिसपोज कर दिया। याचिका में ट्रैवल कंपनियों के लिए डेटा गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने के लिए केंद्र को निर्देश देने की मांग की गई थी। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को सुझाव दिया कि जिसमें वो केंद्र सरकार के संबंधित अधिकारियों के समक्ष प्रतिवेदन प्रस्तुत करे और अपनी समस्या का समाधान ढूंढे।

न्यायमूर्ति मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने कहा कि व्यक्तिगत रूप से पेश हुए याचिकाकर्ता ने भारत संघ के समक्ष कोई प्रतिवेदन प्रस्तुत नहीं किया था। नतीजतन, कोर्ट ने याचिकाकर्ता को भारत संघ के समक्ष शिकायत उठाने की स्वतंत्रता के साथ इस याचिका का निपटारा कर दिया।

याचिका भाजपा नेता, अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर की गई थी, जिन्होंने कहा था कि विदेशी ट्रैवल कंपनियां न केवल आम आदमी का डेटा एकत्र करती हैं, बल्कि विधायकों, मंत्रियों, सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के न्यायाधीशों, कार्मिक, सिविल सेवक और उनके परिवार के सदस्य के व्यक्तिगत डेटा भी एकत्र करती हैं। ।

याचिका में दावा किया गया कि ऐसी कई कंपनियां हैं जो भारत में अपना परिचालन चला रही हैं और उनका आंशिक या पूर्ण स्वामित्व चीनी निवेशकों के पास है। याचिका में आगे कहा गया कि याचिकाकर्ता नागरिकों के डेटा, खासकर उनके आधार और पासपोर्ट विवरण के संभावित दुरुपयोग को लेकर चिंतित है।

इसमें यह भी कहा गया है कि जस्टिस पुतास्वामी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि निजता का अधिकार अनुच्छेद 21 के तहत एक मौलिक अधिकार है। इसके बाद, डेटा संरक्षण समिति, जिसे जस्टिस श्रीकृष्ण समिति के रूप में भी जाना जाता है, ने सुझाव दिया है कि सरकार द्वारा जारी पहचान पत्र संवेदनशील व्यक्तिगत डेटा हैं और उनके प्रसंस्करण के लिए कड़े कानूनों की आवश्यकता होती है।

डीपीडीपी अधिनियम 2023 की धारा 3 में कहा गया है कि अधिनियम के प्रावधान भारत के क्षेत्र के अंदर और बाहर डिजिटल डेटा के प्रसंस्करण पर लागू होंगे, यदि सामान या सेवाएं भारत के क्षेत्र के भीतर डेटा प्रिंसिपल को पेश की जाती हैं। याचिका में कहा गया है, इसलिए, डेटा सुरक्षा उपायों पर ट्रैवल कंपनियों और विशेष रूप से विदेशी कंपनियों से स्पष्टीकरण मांगना केंद्र का कर्तव्य है।

याचिकाकर्ता का सुझाव है कि केंद्र को नागरिकों के डेटा को गोपनीय रखने और डीपीडीपी अधिनियम 2023 के प्रावधानों का अक्षरश: पालन करने के लिए ट्रैवल कंपनियों, विशेष रूप से विदेशी ट्रैवल कंपनियों से लिखित वचन लेना चाहिए।

Recommended For You

About the Author: Ashish Sinha

-Ashish Kumar Sinha -Editor Legally Speaking -Ram Nath Goenka awardee - 14 Years of Experience in Media - Covering Courts Since 2008

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *