दिल्ली उच्च न्यायालय के उस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट को फिलहाल कोई राहत नहीं मिली है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार पर कई सनसनीखेज आरोप लगाए हैं।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल में कहा गया है कि मौजूदा मुख्यमंत्री को लोकसभा चुनावों की घोषणा के बीच में “सुनियोजित” तरीके से गिरफ्तार किया गया है।
बुधवार को, आम आदमी पार्टी नेता केजरीवाल ने उच्च न्यायालय के मंगलवार को पारित आदेश को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि छह महीने में नौ ईडी सम्मनों में केजरीवाल की अनुपस्थिति मुख्यमंत्री के रूप में विशेष विशेषाधिकार के किसी भी दावे को कमजोर करती है, जिससे पता चलता है कि उनकी गिरफ्तारी उनके असहयोग का अपरिहार्य परिणाम थी।
सुप्रीम कोर्ट से तत्काल हस्तक्षेप की मांग करते हुए केजरीवाल की अपील में कहा गया कि यह केजरीवाल की स्वतंत्रता को अवरुद्ध करने का मुद्दा है।
अपील में आगे कहा गया है कि केजरीवाल की गिरफ्तारी “स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव” और “संघवाद” पर आधारित “लोकतंत्र के सिद्धांतों पर अभूतपूर्व हमला” है। ये दोनों सिद्धांत संविधान की मूल संरचना के महत्वपूर्ण घटक हैं।
याचिका में दिल्ली के मुख्यमंत्री को जेल से रिहा करने की मांग करते हुए कहा गया है कि ईडी ने न केवल “राजनीतिक विरोधियों की स्वतंत्रता पर हमला” करने के लिए उत्पीड़न के साधन के रूप में “निहित स्वार्थों द्वारा अपनी प्रक्रिया का उपयोग और दुरुपयोग किया है बल्कि आम चुनाव के बीच में इस तरह के निहित स्वार्थ के लिए “उनकी प्रतिष्ठा और आत्मसम्मान को धूमिल करने का प्रयास किया गया है।
वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने केजरीवाल की गिरफ्तारी को अवैध घोषित करने का आग्रह करते हुए कहा, किसी भी परिस्थिति में ऐसी अराजकता की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए।उन्होंने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी भारत में चुनावी लोकतंत्र के भविष्य के लिए गंभीर, अपरिवर्तनीय प्रभाव डालती है, क्योंकि यदि याचिकाकर्ता को आगामी चुनावों में भाग लेने के लिए तुरंत रिहा नहीं किया जाता है, तो यह सत्तारूढ़ दलों के लिए प्रमुखों को गिरफ्तार करने के लिए कानून में एक मिसाल स्थापित करेगा।
हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील दायर करते हुए केजरीवाल ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय के पास ऐसी कोई सामग्री नहीं है जिसके आधार पर धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 19 के तहत अपराध का अनुमान लगाया जा सके।
इसमें कहा गया, “इसके अलावा, परिस्थितियों और घटनाक्रम से स्पष्ट है कि याचिकाकर्ता (केजरीवाल) को गिरफ्तार करने की कोई आवश्यकता नहीं थी।”
अपील में कहा गया है कि गिरफ्तारी पूरी तरह से सह-अभियुक्तों के विरोधाभासी और अत्यधिक देर से दिए गए बयानों के आधार पर की गई थी, जो अब सरकारी गवाह बन गए हैं।
उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील में कहा गया, “इसके अलावा, ऐसे बयान और सामग्री पिछले नौ महीनों से प्रवर्तन निदेशालय के कब्जे में थे तो अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी आम चुनाव 2024 के बीच में ही क्यों की गई।
याचिका में कहा गया है कि गिरफ्तारी के लिए जिन बयानों को आधार बनाया गया है, वे 7 दिसंबर, 2022 से 27 जुलाई, 2023 तक ईडी द्वारा दर्ज किए गए थे और उसके बाद केजरीवाल के खिलाफ कोई बयान नहीं या साक्ष्य नहीं है।
केजरीवाल को दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति 2021-22 में कथित अनियमितताओं से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में 21 मार्च को ईडी ने गिरफ्तार किया था।इससे पहले ईडी अरविंद केजरीवाल को 9 समन जारी कर चुकी थी। हर बार अरविंद केजरीवाल किसी न किसी से ईडी के सामने पेश नहीं हुए थे। जब ईडी ने अरविंद केजरीवाल की शिकायत अदालत से की तो केजरीवाल कोर्ट के आदेश को चुनौती देने ऊपरी अदालत तक पहुंच गए थे, लेकिन ईडी के समन पर केजरीवाल को कोई राहत नहीं मिली थी।