बरेवली संप्रदाय के नेता तौकीर रजा खान को राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 2010 के बरेली सांप्रदायिक दंगा मामले में उनके खिलाफ जारी गैर-जमानती वारंट के क्रियान्वयन पर अंतरिम रोक लगा दी है।
दरअसल, 2 मार्च, 2010 को उत्तर प्रदेश के एक शहर में एक धार्मिक जुलूस के मार्ग को लेकर दंगे भड़क उठे थे। जिसमें कई लोग घायल हुए थे, शहर की दुकानें और सड़क पर वाहनों को जला दिया गया था।
जस्टिस एमएम सुंदरेश और एसवीएन भट्टी की पीठ ने उनकी दलीलों पर ध्यान देने के बाद गैर जमानती वारंट पर अंतरिम स्टे लगा दिया।
इससे पहले इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 19 मार्च को तौकीर रजा खान को वारंट पर कोई भी “छूट” देने से इनकार कर दिया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा था कि आगामी होली की छुट्टियों को ध्यान में रखते हुए, पुनरीक्षणकर्ता को 27 मार्च, 2024 को या उससे पहले निचली अदालत में पेश होने और जमानत के लिए आवेदन करने का निर्देश दिया जाता है और उसकी जमानत अर्जी का कानून के अनुसार निपटारा किया जाएगा।
हालांकि यूपी पुलिस ने तौकीर रजा खान और अन्य को इस मामले में गिरफ्तार किया था, लेकिन उनके खिलाफ आरोप पत्र दायर नहीं किया था।
इसी साल 5 मार्च को स्थानीय ट्रायल कोर्ट ने मौलवी को समन जारी किया था। सुप्रीम कोर्ट में उत्तर प्रदेश सरकार ने उच्च न्यायालय को बताया था कि खान “2 मार्च, 2010 को जिला बरेली में हुए सांप्रदायिक दंगों का मास्टरमाइंड था और अपराध में उसकी संलिप्तता दिखाने वाले उसके खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं”।