मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि-ईदगाह कमेटी विवाद में हिंदू पक्ष को बड़ी जीत हासिल हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने ईदगाह कमेटी की हाईकोर्ट में सुनवाई रोकने की मांग को दरकिनार कर दिया है। ईदगाह कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करके मामले की सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट में रोकने की मांग की थी। ईदगाह कमेटी का कहना था कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विभिन्न निचली अदालतों में चल रहे मुकदमों को अपने यहां मंगवाकर सुनवाई शुरु कर दी है। जिससे उनके संवैधानिक अवसर खत्म हो गया है।
हालांकि, मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपने पहले के आदेश को अगस्त में अगली सुनवाई तक के लिए बढ़ा दिया है। एससी ने अपने पहले आदेश के तहत मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि से सटी इस मस्जिद के सर्वे पर रोक लगा दी थी। यह फैसला अदालत की निगरानी में सर्वे की इजाजत वाले इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ था। सोमवार को जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने इस मामले को विस्तृत सुनवाई के लिए अगस्त के पहले पखवाड़े में लिस्टेड करने का आदेश दिया। ऐसा यह देखते हुए कहा गया कि अदालत ने अभी तक याचिका में औपचारिक रूप से नोटिस जारी नहीं किया है।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने अपने 16 जनवरी के आदेश को जारी रखते हुए संक्षिप्त आदेश में कहा, ‘इस मामले को लेकर नोटिस जारी करें। 5 अगस्त, 2024 से शुरू होने वाले सप्ताह में केस को फिर से लिस्टेड किया जाए। इस बीच, दोनों पक्षों की ओर से दलीलें पूरी कर ली जाएंगी और अंतरिम आदेश जारी रहेगा।’ मालूम हो कि सुनवाई की अगली तारीख के दौरान SC इससे जुड़ी कई दूसरी याचिकाओं पर भी विचार करेगा। इसमें कृष्ण जन्मस्थान और शाही ईदगाह के बीच भूमि विवाद से संबंधित लगभग 18 मुकदमों को सुनवाई का केस भी है, जिसमें मथुरा की कई सिविल अदालतों से अपने पास स्थानांतरित करने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई है।
मस्जिद परिसर के बारे में हिंदू पक्ष का दावा है कि वहां ऐसी निशानियां हैं जिससे पता चलता है कि यह एक वक्त में मंदिर था। पीठ ने हिंदू पक्षों जैसे कि भगवान श्रीकृष्ण विराजमान और अन्य की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान से कहा था, ‘आवेदन को लेकर हमें आपत्ति है। याचिका को देखिए। यह बहुत अस्पष्ट है। इसे पढ़ें। आप अदालत आयुक्त की नियुक्ति के लिए अस्पष्ट आवेदन नहीं दे सकते। आपको यह स्पष्ट करना चाहिए कि आप सीपीसी के आदेश 26 नियम 9 के तहत आवेदन में स्थानीय आयुक्त से क्या चाहते हैं।’ पीठ ने कहा कि इसका उद्देश्य बहुत स्पष्ट होना चाहिए और आप सब कुछ अदालत पर नहीं छोड़ सकते।
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