दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को दिल्ली दंगों के आरोपी खालिद सैफी की निचली अदालत द्वारा उनकी जमानत याचिका खारिज किए जाने को चुनौती देने वाली अपील पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और रजनीश भटनागर की खंडपीठ ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। सैफी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रेबेका जॉन और दिल्ली पुलिस के लिए विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद पेश हुए। 8 दिसंबर को प्रसाद ने हाईकोर्ट के समक्ष सैफी द्वारा दायर जमानत याचिका पर अपनी दलीलें पूरी की।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने 8 अप्रैल को सैफी की जमानत याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि उनके खिलाफ आरोप प्रथमदृष्टया सही लगते हैं।
दिल्ली पुलिस ने फरवरी 2020 में सैफी को गिरफ्तार किया था। उस पर पूर्वोत्तर दिल्ली के कई इलाकों सांप्रदायिक हिंसा फैलाने का आरोप है। सरकारी ने वकील ने खालिद सैफी की जमानत याचिका पर बहस के दौरान अदालत से कहा कि अगर उसे जमानत पर रिहा किया जाता है तो समाज के एक वर्ग में दहशत फैल सकती है। उसको फिल्हाल जमानत दिए जाने से सांप्रदायिक सौहार्द्र भी बिगड़ सकता है।
अदालत ने दोनों खालिद सैफी के वकील और अभियोजन पक्ष की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया है।