इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कहा है कि सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति की आजादी किसी भी नागरिक को गैर जिम्मेदाराना बयान देने की इजाजत नहीं देती और न ही आपत्तिजनक भाषा के इस्तेमाल का लाइसेंस देती है. हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि आजकल सोशल मीडिया विचारों और राय के आदान-प्रदान का एक वैश्विक मंच बन गया है।
न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने नंदिनी सचान द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए कहा कि आजकल इंटरनेट और सोशल मीडिया जीवन के महत्वपूर्ण उपकरण बन गए हैं जिसके माध्यम से लोग खुद को अभिव्यक्त करते हैं, जिसके माध्यम से लोग अपने स्वतंत्रता के अधिकार का प्रयोग कर सकते हैं। लेकिन यह विशेष जवाबदेही वाला अधिकार है। नंदिनी पर सोशल मीडिया पर अश्लील सामग्री फैलाने का आरोप है। मामले के संबंध में नवादा थाने में उसके खिलाफ सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम की धारा 67 के तहत प्राथमिकी भी दर्ज है.