एनडीपीएस एक्ट में दोषी पाए गए एक शख्स की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने सरकार और पुलिस को जमकर सुनाया। दोषी पाया गया शख्स 62 साल का था और वो 6 साल से जेल में है। बेंच ने कहा कि सरकार और पुलिस केवल छोटे अपराधियों पर ही चाबुक चलाती है, जो बड़े ड्रग्स सिंडिकेट चलाते हैं उन पर कार्रवाई नहीं होती। बेंच ने सरकारी वकील से पूछा जो शख्स पांच साल जेल में बिता चुका तो अब वो किस आधार पर जमानत का विरोध कर रहे हैं। सरकारी वकील के तर्कों को दरकिनार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए।
इस पर एएसजी विक्रमादित्य बनर्जी ने बेंच से कहा कि यह ट्रायल का मामला नहीं बल्कि एनडीपीएस एक्ट में दोषी पाए गए शख्स का मामला है और वो एक्ट के तहत 10 साल की सजा भुगत रहा है। अभी उसकी सजा की अवधि शेष है।
सीजेआई जस्टिस चंद्रचूड़ ने सरकारी वकील से पूछा कि क्या उन्हें ज़मानत क्यों नहीं दी जा सकती? क्यों कि यह ऐसा मामला नहीं है जहां छापेमारी की गई और ड्रग्स बरामद किया गया बल्कि उस पर आरोप है उसने अपने खेत में लाइसेंस के आधार पर अफीम उगाई जो कि अनुमति से अधिक मात्रा में थी।
कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि हमारा अनुभव रहा है कि सरकार और पुलिस असली दोषियों के पीछे नहीं जाती जो अंतरराष्ट्रीय सिंडिकेट चला रहे हैं। आप सिर्फ छोटे लोगों पर कार्रवाई करते हैं। आप बड़े लोगों को पकड़ें।