महत्वपूर्ण मुद्दों पर बहस के लिए सीधे संसद में नागरिकों को याचिका दाखिल करने देने की मांग।
केंद्र सरकार ने याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा। सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई टली, चार हफ्ते के बाद मामले की सुनवाई होगी।
याचिका में कहा गया कि नागरिकों को जनहित के मुद्दों पर चर्चा आमंत्रित करने का मौलिक अधिकार है।
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील से पूछा था कि अगर याचिका को अनुमति दी जाती है, तो इससे संसद के कामकाज में बाधा आ सकती है, क्योंकि अन्य देशों की तुलना में भारत में बड़ी आबादी है। आप चाहते हैं कि इसे संविधान के अनुच्छेद-19(1)(ए) के तहत घोषित किया जाए। यह संसद के कामकाज को अवरुद्ध कर देगा।