इलेक्शन कमीशन के एक बड़े फैसले के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा फेरबदल हो गया है। इलेक्शन कमीशन ने शिवसेना का चुनाव चिह्न महाराष्ट्र के सत्ताधारी एकनाथ शिंदे गुट के नाम कर दिया है।
चुनाव आयोग ने 78 पेज के फैसले में निर्वाचन आयोग ने कहा है कि विधान मंडल के सदन से लेकर संगठन तक में बहुमत शिंदे गुट के ही पास दिखा। आयोग के सामने दोनों पक्ष ने अपने अपने दावे और उनकी पुष्टि के लिए दस्तावेज प्रस्तुत किए थे।
एकनाथ शिंदे गुट के पास एकीकृत शिवसेना के टिकट पर जीत कर आए कुल 55 विजयी विधायकों में से 40 विधायक हैं। पार्टी में कुल 47,82,440 वोट में से 76 फीसद यानी 36,57,327 वोटरों के दस्तावेज शिंदे गुट ने अपने पक्ष में पेश कर दिए। उद्धव ठाकरे गुट ने शिवसेना पर पारिवारिक विरासत के साथ ही राजनीतिक विरासत का दावा करते हुए 15 विधायकों और कुल 47,82,440 वोट में से सिर्फ 11,25,113 वोटों का ही दस्तावेजी सबूत पेश कर पाए। यानी कुल 23.5 फीसदी वोट ही ठाकरे गुट के पास थे। शिवसेना के कुल 55 विधायकों में सिर्फ 15 का समर्थन ठाकरे गुट के पास था।
महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा फेरबदल हो गया है। इससे उद्धव ठाकरे को बहुत बड़ा झटका लगा है। चुनाव आयोग ने बड़ा फैसला लेते हुए एकनाथ शिंदे गुट को शिवसेना नाम दे दिया है। वहीं, धनुष बाण चुनाव निशान एकनाथ शिंदे गुट को मिला है। चुनाव आयोग ने आदेश दिया कि पार्टी का नाम “शिवसेना” और पार्टी का प्रतीक “धनुष और बाण” एकनाथ शिंदे गुट के पास ही रहेगा। ऐसे में एकनाथ शिंदे गुट को बड़ी जीत मिली है।
निर्वाचन आयोग ने पाया कि 2018 में संशोधित किया गया शिवसेना का संविधान उसे नहीं दिया गया था। चुनाव आयोग के कहने पर दिवंगत बालासाहेब ठाकरे ने 1999 में पार्टी के संविधान में लोकतांत्रिक मानदंडों को जगह देने के लिए बदलाव किया था, जिसे नए संशोधन में हटा दिया गया था। चुनाव आयोग ने यह भी देखा कि शिवसेना के मूल संविधान के अलोकतांत्रिक मानदंड, जिसे 1999 में आयोग द्वारा स्वीकार नहीं किया गया था, को गुप्त तरीके से बदल दिया गया, जिससे पार्टी एक जागीर में तब्दील हो गई।
चुनाव आयोग के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए उद्धव गुट के प्रवक्ता आनंद दुबे ने कहा कि जिस बात का डर था वही हुआ। उन्होंने चुनाव आयोग को ‘बीजेपी का एजेंट’ करार देते हुए कहा कि वह अपनी विश्वसनीयता खो चुका है। दुबे ने कहा कि उनकी पार्टी पहले से ही कहती आ रही है कि उन्हें चुनाव आयोग पर विश्वास नहीं है। जब मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है, बहस अभी जारी है, आपने आनन-फानन में कैसे फैसला सुना दिया कि शिवसेना एकनाथ शिंदे की पार्टी है।
इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए संजय राउत ने कहा, “यह लोकतंत्र की हत्या है। हम कानून की लड़ाई भी लड़ेंगे और जनता के दरबार में भी जाएंगे। हम फिर से शिवसेना खड़ी करेंगे। आपने निशान हथियाया है, विचार कैसे हथियाएंगे। अगर धनुष बाण राम की बजाए रावण को मिले, तो इसका मतलब क्या? इसका मतलब है असत्यमेव जयते। राउत ने कहा, “कहां तक खरीद-बिक्री हुई है, यह साफ हो गया है। आज चुनाव आयोग ने अपना विश्वास खो दिया है। देश की सभी स्वायत्त संस्थाओं को गुलाम बनाने की कोशिश शुरू है। इस फैसले को जरूर चुनौती देंगे। 40 लोगों ने पैसे के जोर पर धनुष बाण का चिन्ह खरीदा है।”
गौरतलब है कि पिछले साल जून में एकनाथ शिंदे ने तख्तापलट किया था, तब शिवसेना पार्टी दो गुटों में बंट गई थी। पार्टी उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के समर्थकों के बीच बंट गई थी। शिंदे गुट की बगावत के बाद महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे को सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा था। बाद में एकनाथ शिंदे ने बीजेपी के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बना ली। एकनाथ शिंदे ने सीएम और देवेंद्र फडणवीस ने डिप्टी सीएम के पद पर शपथ ली थी। इसके बाद उद्धव गुट और शिंद गुट ने शिवसेना के नाम और पार्टी के प्रतीक चिह्न धनुष और बाण को लेकर चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया था।