सभी धर्मों में लड़कियों की शादी की उम्र लड़कों के समान करने की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को खारिज कर दी है। मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा, संविधान के रक्षक के तौर पर अदालत के पास विशेषाधिकार नहीं है। संविधान की रक्षा के लिए संसद के पास भी उतना ही अधिकार, संसद के पास अधिकार है कि वो किसी भी कानून में संशोधन कर सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये कानून में संशोधन का मामला है,ऐसे में अदालत इस मामले में संसद को कानून लाने के आदेश नहीं दे सकता। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा अगर अदालत शादी की 18 साल की उम्र को रद्द कर देता है तो फिर शादी के लिए कोई न्यूनतम उम्र नहीं रह जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय को कहा कि ये कोई राजनीतिक मंच नहीं है। हमें ये मत सिखाइए कि संविधान के रक्षक के तौर पर हमें क्या करना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट सभी धर्मों में लड़कियों की शादी की उम्र लड़कों के समान 21 साल करने की मांग वाली बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय की याचीका पर सुनवाई कर रहा था।