कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा को दिल्ली हवाई अड्डे से गिरफ्तार किए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राहत दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पवन खेड़ा को जब मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाए तो उन्हें अंतरिम जमानत दी जाए। इसके साथ ही पवनखेड़ा के वकील अभिषेक मनु सिंघवी की याचना पर सुप्रीम कोर्ट ने पवन खेड़ा के खिलाफ देश के विभिन्न प्रदेशों में दर्ज मुकदमों को एक ही अदालत में स्थांतरित करने से पहले उत्तर प्रदेश और आसाम सरकार को नोटिस जारी कर दिया है।
दरअसल, कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा पर आरोप है कि उन्होंने एक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम का उच्चारण गलत और आरोपित दृष्टिकोण से किया है। जिससे संवैधानिक पद का अपमान हुआ है। असम और उत्तर प्रदेश में पवन खेड़ा के खिलाफ पुलिस ने अभियोग पंजीकृत कर लिए। आसाम पुलिस ने इस बारे में पवन खेड़ा के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी किया था। पवन खेड़ा शुक्रवार सुबह इंडिगो की फ्लाइट से दिल्ली से रायपुर जा रहे थे। पुलिस ने उन्हें हवाई जहाज से उतार कर गिरफ्तार किया था। इसके बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने हवाई अड्डे पर ही धरना प्रदर्शन शुरु कर दिया।
पवन खेड़ा की गिरफ्तारी के तुरंत बाद कांग्रेस की ओर से वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इस पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने दोपहर तीन बजे मेंशन करने को कहा। दोपहर तीन बजे जैसे ही बेंच के बैठते ही अभिषेक मनु सिंघवी ने दलीलें दी कि पवन खेड़ा ने जो भी कहा वो जानबूझ कर नहीं कहा। इतना ही नहीं उन्होंने उसके लिए माफी भी मांग ली है। इसके बावजूद जिन धाराओं में अभियोग पंजीकृत किया गया वो सुसंगत नहीं है। आसाम सरकार ओर से पेश हुई एएसजी सुश्री भाटी ने कहा कि पवन खेड़ा ने गलत दृष्टिकोण से प्रधानमंत्री के नाम का उच्चारण किया है। उनकी मंशा गलत प्रतीत होती है। सुश्री भाटी के अनुरोध पर सुप्रीम कोर्ट ने वो वीडियो क्लिप्स भी देखे। इसके बाद मजिस्ट्रेट कोर्ट को मंंगलवार 27 फरवरी तक अंतरिम जमानत के आदेश जारी कर दिए।