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देश अतीत का कैदी बन कर नहीं रह सकता: सड़कों व शहरों के नाम बदलने की मांग पर SC की बड़ी टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट, तेलंगाना, विधायक खरीद फरोख्त, बीजेपी

देश के शहरों और सड़कों के प्राचीन नामों की पहचान के लिए ‘रिनेमिंग कमीशन’ बनाए जाने की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि देश अतीत का कैदी बन कर नहीं रह सकता, धर्मनिरपेक्ष भारत सभी का है। कोर्ट ने यह भी कहा की देश को आगे ले जाने वाली बातों के बारे में सोचा जाना चाहिए।

बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में याचीका दाखिल कर कहा था क्रूर विदेशी आक्रांताओं ने कई जगहों के नाम बदल दिए।उन्हें अपना नाम दे दिया।आज़ादी के इतने साल बाद भी सरकार उन जगहों के प्राचीन नाम फिर से रखने को लेकर गंभीर नहीं है।

उपाध्याय ने अपनी याचीका में यह भी कहा था कि धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व की हज़ारों जगहों के नाम मिटा दिए गए। अश्वनी उपाध्याय ने शक्ति पीठ के लिए प्रसिद्ध किरिटेश्वरी का नाम बदल कर हमलावर मुर्शिद खान के नाम पर मुर्शिदाबाद रखने, प्राचीन कर्णावती का नाम अहमदाबाद करने, हरिपुर को हाजीपुर, रामगढ़ को अलीगढ़ किए जाने जैसे कई उदाहरण याचिका में दिए थे।

उपाध्याय ने इन सभी जगहों के प्राचीन नाम की बहाली को हिंदुओं के धार्मिक, सांस्कृतिक अधिकारों के अलावा सम्मान से जीने के मौलिक अधिकार के तहत भी ज़रूरी बताया था।याचिका में उन्होंने अकबर रोड, लोदी रोड, हुमायूं रोड, चेम्सफोर्ड रोड, हेली रोड जैसे नामों को भी बदलने की ज़रूरत बताई थी।
*सुप्रीम कोर्ट ने हैरानी जताई

सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस के एम जोसेफ और बी वी नागरत्ना की बेंच ने टिप्पणी करते हुए कहा, “क्या आप सड़कों का नाम बदलने को अपना मौलिक अधिकार बता रहे हैं? आप चाहते हैं कि हम गृह मंत्रालय को आदेश दें कि वह इस विषय के लिए आयोग का गठन करे?” याचिकाकर्ता उपाध्याय ने कहा, “सिर्फ सड़कों का नाम बदलने की बात नहीं है, इससे ज़्यादा ज़रूरी है इस बात पर ध्यान देना कि हज़ारों जगहों की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को मिटाने का काम विदेशी हमलावरों ने किया था। प्राचीन ग्रन्थों में लिखे उनके नाम छीन लिए। मैं बस इतना चाहता हूँ कि अब वही नाम दोबारा बहाल होने चाहिए।

जिस पर जस्टिस जोसेफ ने कहा, “आपने अकबर रोड का नाम बदलने की भी मांग की है जबकि इतिहास कहता है कि अकबर ने सबको साथ लाने की कोशिश की थी।इसके लिए दीन ए इलाही जैसा अलग धर्म लाया गया था। उपाध्याय ने जवाब दिया कि इसे किसी सड़क के नाम तक सीमित न किया जाए, जिन लोगों ने हमारे पूर्वजों को अकल्पनीय तकलीफें और यातनाएं दीं।जिनके चलते हमारी माताओं को जौहर यानी (जीते जी आग में कूद कर जान देना) जैसे कदम उठाने पड़े. उन क्रूर यादों को खत्म करने की ज़रूरत है.

‘आप समय को पीछे ले जाना चाहते हैं?’

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “हम पर हमले हुए, यह सच है, लेकिन क्या आप समय को पीछे ले जाना चाहते हैं? इससे आप क्या हासिल करना चाहते हैं? क्या देश में समस्याओं की कमी है? उन्हें छोड़ कर गृह मंत्रालय अब नाम ढूंढना शुरू कर देना चाहिए?” जस्टिस नागरत्ना ने आगे कहा, “हिंदुत्व एक धर्म नहीं,बल्कि जीवन शैली है. इसमें कट्टरता की कोई जगह नहीं है. हिंदुत्व ने मेहमानों और हमलावरों सब को स्वीकार कर लिया. वह इस देश का हिस्सा बनते चले गए. बांटो और राज करो की नीति अंग्रेजों की थी लेकिन अब समाज को बांटने की कोशिश नहीं होनी चाहिए.”

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About the Author: Meera Verma

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