शराब घोटाले में आम आदमी पार्टी, दिल्ली सरकार और गिरफ्तार डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को बड़ा झटका लगा है। सिसोदिया ने सीबीआई जांच अपनी गिरफ्तारी के खिलाफ सुप्रीम में अर्जेंट हियरिंग की याचिका लगाई थी।
मनीष सिसोदिया की ओर से एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट से समक्ष याचिका लगाई और सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई की सहमति भी देदी। दोपहर साढ़े तीन बजे के बाद सुनवाई मुकर्रर की गई। इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ कर रही थी। पीठ में जस्टिस पीएस नरसिम्हा भी शामिल थे।
जैसे ही अभिषेक सिंघवी ने दलीलें देनी शुरू कीं, वैसे ही चीफ जस्टिस ने पूछा कि वो आर्टिकल 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट के पास क्यों आए हैं? इस अभिषेक मनु सिंघवी ने विनोद दुआ और अर्णव गोस्वामी की याचिकाओं पर दिए गए फैसलों का जिक्र किया। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि आपका मामला तो प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के तहत दर्ज हुआ है। इसका आर्टिकल 32 से क्या लेना देना।
इसके बाद जस्टिस पीएस नरसिम्हा ने अभिषेक मनु सिंघवी से सख्त लहजे में कहा कि घटना दिल्ली की तो आप सीधे सुप्रीम कोर्ट चले आएंगे? आपके पास दिल्ली हाईकोर्ट का विकल्प है। दोनों न्यायाधीशों ने कहा कि यह मामला व्यक्तिगत आजादी का नहीं बल्कि प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट का है। अगर आपको सीबीआई की कार्रवाई पर आपत्ति है तो आपके पास हाईकोर्ट का विकल्प है।
इतना कहने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया की सीबीआई की कार्रवाई में दखल से इंकार कर दिया।
दरअसल, शराब घोटाले में सीबीआई ने मनीष सिसोदिया को मुख्य अभियुक्त बनाया है। उन पर आरोप है कि दिल्ली की नई शराब नीति शराब व्यापारियों को फायदा पहुंचाने के लिए बनाई गई। नई शराब नीति के कैबिनेट ड्राफ्ट सरकार से बाहर लोगों को शेयर किए गए। शराब व्यापारियों का कमीशन 2 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी कर दिया गया था। हालांकि, विवाद बढ़ने के बाद केजरीवाल सरकार ने नई शराब नीति वापस ले ली थी, लेकिन तब तक ईडी और सीबीआई ने जांच शुरू कर दी थी। मनीष सिसोदिया के पास आबकारी (शराब), शिक्षा और वित्त मंत्रालय के अलावा 18 अन्य मंत्रालयों की जिम्मेदारी है।