भारतीय सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हम ऐसे दौर में रह रहे हैं जहां लोगों में सब्र और सहिष्णुता कम है। सोशल मीडिया के दौर में अगर कोई आपकी सोच से सहमत नहीं है तो वह आपको ट्रोल करना शुरू कर देता है।
उन्होंने कहा, ‘सोशल मीडिया पर फेक न्यूज जिस रफ्तार से फैलती है, उसके चलते सच्चाई विक्टिम बन गई है। एक झूठी बात बीज की तरह जमीन में बोई जाती है और यह बड़ी थ्योरी में बदल जाती है, जिसे तर्क के आधार पर तौला नहीं जा सकता है। इसलिए कानून को भरोसे की ग्लोबल करेंसी कहते हैं।’जस्टिस चंद्रचूड़ ने यह बातें अमेरिकन बार एसोसिएशन Law in the Age of Globalization: Convergence of India and the West Seminar में कहीं।
मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि भारतीय संविधान में दुनियाभर की सबसे बेहतर प्रैक्टिसेस को शामिल किया गया था। डॉ.आंबेडकर ने कहा था कि संविधान में सिर्फ दुनिया से प्रेरणा नहीं ली गई है, बल्कि यह देश के लोगों की जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाया गया है। यह एक बेहद अनोखा भारतीय प्रोडक्ट है जो ग्लोबल भी है। लेकिन, अब हमारी रोजाना की जिंदगी दुनिया में होने वाली चीजों से प्रभावित होती है।
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि कई मायनों में भारतीय संविधान ग्लोबलाइजेशन का सबसे बड़ा उदाहरण है, वह भी उस समय का जब हम ग्लोबलाइजेशनके दौर में आए नहीं थे। जब संविधान का ड्राफ्ट तैयार किया गया था, तो इसे बनाने वालों को ये अंदाजा नहीं था कि दुनिया में किस तरह से बदलाव आएगा।
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि उस वक्त हमारे पास इंटरनेट नहीं था। हम ऐसे दौर में थे जो एल्गोरिदम से नहीं चलता था। सोशल मीडिया तो बिल्कुल नहीं था। आज हर छोटी चीज के लिए आपको यह डर रहता है कि सोशल मीडिया पर लोग आपको ट्रोल करेंगे। और यकीन मानिए जज होकर हम इस ट्रोलिंग से बच नहीं पाते हैं।
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि ट्रैवल और टेक्नोलॉजी के विस्तार के साथ मानवता का विस्तार हुआ है, लेकिन व्यक्तिगत तौर पर कोई क्या सोचता है, उसे लेकर लोगों में सहमति की भावना खत्म होने के साथ मानवता का पतन भी हुआ है। यही हमारे समय का चैलेंज है। इसमें से ज्यातादर तो टेक्नोलॉजी का प्रभाव है।
उन्होंने कहा कि जब दुनिया के साथ भारत में भी कोविड-19 फैला था तो भारतीय न्यायपालिका ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से मुकदमों की सुनवाई शुरू की । धीरे-धीरे यह बाकी अदालतों में भी शुरू हुई। महामारी के परिणाम के तौर पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग ने न्याय को विकेंद्रित कर दिया है। न्याय तक लोगों की पहुंच बढ़ाने में यह बेहद अहम बदलाव रहा है।
उन्होंने कहा, ‘सोशल मीडिया पर फेक न्यूज जिस रफ्तार से फैलती है, उसके चलते सच्चाई विक्टिम बन गई है। एक झूठी बात बीज की तरह जमीन में बोई जाती है और यह बड़ी थ्योरी में बदल जाती है, जिसे तर्क के आधार पर तौला नहीं जा सकता है। इसलिए कानून को भरोसे की ग्लोबल करेंसी कहते हैं।’