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फोस्टर पैरंट्स से पहले जन्म देने वाली मां को ही बच्चे की कस्टडी का अधिकार, मुंबई की सिविल कोर्ट का फैसला

Foster Parents, Mumbai Civil Court

मुंबई की एक सिविल कोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि जन्म देने वाली मां को ही बच्चे की कस्टडी का अधिकार है। यह कहते हुए कोर्ट ने फोस्टर पैरंट्स (दत्तक माता-पिता) से 25 साल की महिला को उसका बेटा सौंपने का आदेश दिया। दरअसल, बायोलॉजिकल मां (जन्म देने वाली माँ) ने शादी से पहले ही बच्चे को जन्म दिया था जिसके चलते उसने 2021 में अपने बच्चे को अडॉप्शन (गोद देना/लेना) के लिए दे दिया था। हालांकि जब उसे अहसास हुआ कि वह बेबी सेलिंग रैकेट (बच्चों को बेचने वालों के गिरोह) में फंस गई है तो उसने बेटे को वापस लेने की इच्छा जाहिर की।

महिला ने बच्चे के पिता से शादी भी कर ली। पिछले साल याचिकाकर्ता (महिला) ने अपने एक साल के बेटे की कस्टडी के लिए कोर्ट का रुख किया। पालक माता-पिता ने बच्चे को वापस देने से इनकार कर किया हालांकि कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, ‘दत्तक माता-पिता ने चाइल्ड अडॉप्शन के संबंध में तथ्य स्थापित करने के लिए विश्वसनीय और संप्रेषित साक्ष्य रिकॉर्ड पर नहीं लाए हैं।’

अदालत ने यही भी कहा कि दत्तक माता-पिता ने पहले अडॉप्शन याचीका दाखिल की थी जिसे खारिज कर दिया गया था। कोर्ट के आदेश के बाद दत्तक माता-पिता ने इस पर रोक लगाने के लिए अर्जी दाखिल की।

2022 में दाखिल अपनी याचीका में बायोलॉजिकल मां ने कहा था कि व्यक्तिगत और वित्तीय कठिनाइयों के चलते वह बच्चे का पालने में असमर्थ थी और उसे जूलिया फर्नांडिस नाम की एक महिला से संपर्क करने की सलाह दी गई थी। मां ने बताया कि जूलिया ने उसे बताया था कि उसका एक एनजीओ है और जब तक चीजें सही नहीं हो जाती है बच्चे की देखभाल में मदद की जाएगी।

मां ने कहा कि जूलिया ने ही उसके बच्चे का अडॉप्शन कराया था और बताया कि दत्तक पैरंट्स पैसे से मजबूत हैं और बच्चे की अच्छे से देखभाल करने में पूरी समर्थ हैं। पिछले साल जूलिया और उसकी एक कथित साथी शबाना शेख के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज किया गया। दोनों पर एक नवजात बच्ची को साढ़े चार लाख रुपये में कथित तौर पर बेचने की कोशिश का आरोप था।

मां ने यह भी कहा पालक माता-पिता ने 2021 में कोर्ट में अडॉप्शन याचीका दाखिल की थी। लेकिन उसने और उसके पति ने कोर्ट को बताया कि वे अपने बच्चे को अडॉप्शन के लिए देना ही नही चाहते थे। मार्च 2022 में कोर्ट ने अडॉप्शन पिटीशन खारिज कर दी।

याचिकाकर्ता मां ने बताया कि जब उसने और उसके पति ने दत्तक माता-पिता से अपने बच्चे की कस्टडी (वापस) मांगी तो उन्होंने इनकार कर दिया। मां ने कहा कि उसने पुलिस से संपर्क किया लेकिन मदद नहीं मिली। ऐसे में उसे बच्चे की कस्टडी के लिए याचीका दाखिल करनी पड़ी।

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About the Author: Ashish Sinha

-Ashish Kumar Sinha -Editor Legally Speaking -Ram Nath Goenka awardee - 14 Years of Experience in Media - Covering Courts Since 2008

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