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फंड हेराफेरी मामला: साकेत गोखले को नहीं मिली राहत, सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को जारी किया नोटिस

Saket Gokhle, TMC, Gujarat

सुप्रीम कोर्ट ने फंड की हेराफेरी के मामले में सामाजिक कार्यकर्ता साकेत गोखले की जमानत याचिका पर सोमवार को गुजरात सरकार को नोटिस जारी किया है। गोखले ने गुजरात हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनोती दी है।

सुप्रीम कोर्ट एक जज जस्टिस बीआर गवई और विक्रम नाथ की खंडपीठ ने गुजरात सरकार से याचिका पर दो सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है। गोखले की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी पेश हुए थे।

दअरसल तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता गोखले ने पिछले महीने गुजरात उच्च न्यायालय के एक आदेश को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय का रुख किया, जिसमें एक ऑनलाइन अभियान के माध्यम से जुटाए गए धन के गबन के मामले में उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी गई थी।

गुजरात हाईकोर्ट ने कहा था कि गोखले पर प्रथम दृष्टया मामला बनता है। चश्मदीदों के बयान के मुताबिक, उसने न सिर्फ शिकायतकर्ता की पत्नी से बल्कि 1,767 अन्य लोगों से भी पैसे लिए। यह धन सोशल मीडिया के माध्यम से एकत्र किया गया था, जिसमें अधिकांश लेन-देन ऑनलाइन होते थे।

हाईकोर्ट ने 28 दिसंबर, 2022 को राज्य सरकार के एक उप सचिव ने गोखले के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई, जिसमें आरोप लगाया गया कि उनकी पत्नी ने टीएमसी नेता के क्राउडफंडिंग अभियान में योगदान दिया। इन पैसों का इस्तेमाल गरीब लोगों के कल्याण के लिए किया जाना था। हालाँकि, गोखले पर अपने निजी इस्तेमाल के लिए धन की हेराफेरी करने का आरोप लगाया गया था। गोखले ने अपने बचाव में तर्क दिया था कि उन्हें निशाना बनाया जा रहा है और वह राजनीतिक प्रतिशोध का शिकार हैं। उन्होंने गुजरात उच्च न्यायालय के समक्ष दावा किया था कि उन्हें इस मामले में फंसाया गया है क्योंकि सरकार उन्हें जेल में डालना चाहती है।

गोखले को पहली बार पिछले साल 6 दिसंबर को सूचना के अधिकार (आरटीआई) प्रतिक्रिया की समाचार क्लिपिंग के लिए ट्विटर पर साझा करने के लिए गिरफ्तार किया गया था, जिसमें दावा किया गया था कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की मोरबी यात्रा से पहले 30 करोड़ खर्च किए गए थे। जहां अक्टूबर में सदियों पुराना सस्पेंशन ब्रिज ढह गया था। हालांकि, इस मामले में उन्हें 8 दिसंबर को जमानत मिल गई थी। रिहा होते ही उन्हें अहमदाबाद पुलिस साइबर सेल ने धन की हेराफेरी के आरोप में तुरंत गिरफ्तार कर लिया था।

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About the Author: Ashish Sinha

-Ashish Kumar Sinha -Editor Legally Speaking -Ram Nath Goenka awardee - 14 Years of Experience in Media - Covering Courts Since 2008

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