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महाराष्ट्र की सियासी महाभारत पर सुनवाई पूरी, सुप्रीम कोर्ट के 5 जजोंं की संविधान पीठ ने फैसला रखा सुरक्षित

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सुप्रीम कोर्ट की एक संविधान पीठ ने गुरुवार को उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे समूहों के बीच शिवसेना पार्टी के भीतर विभाजन की संवैधानिकता पर चल रही सुनवाई के बाद फैसले को सुरक्षित रख लिया है। शिव सेना में हुए विभाजन के बाद उद्धव सरकार गिर गई थी और अलग हुए गुट के नेता एकनाथ शिंदे ने बीजेपी के सहयोग से सरकार बनाई थी। इसी बीच इलेक्शन कमीशन ने शिंदे गुट को असली शिवसेना की मान्यता प्रदान कर दी थी।

महाराष्ट्र की शिंदे सरकार के बारे में सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल की गई थी। इनमें से एक याचिका एकनाथ शिंदे ने दायर की थी। जिसमें कहा गया था कि जून 2022 में कथित दल-बदल को लेकर संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत बागियों के खिलाफ तत्कालीन डिप्टी स्पीकर द्वारा जारी नोटिस को असंवैधानिक था। बाद में,उद्धव ठाकरे गुट ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की जिसमें महाराष्ट्र के राज्यपाल द्वारा विश्वास मत के लिए बुलाए जाने के फैसले को चुनौती दी गई।

दरअसल, अगस्त 2022 में, भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एनवी रमणा की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कुछ मुद्दों को उठाया था। इन मुद्दों को भी संविधान पीठ ने संबोधित किया है। इनमें पहला मुद्दा यह है कि क्या स्पीकर को हटाने का नोटिस उन्हें नबाम रेबिया में न्यायालय द्वारा आयोजित भारतीय संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत अयोग्यता की कार्यवाही जारी रखने से रोकता है और क्या अनुच्छेद 226 और अनुच्छेद 32 के तहत उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय में याचिका डाली जा सकती है। विधान सभा के सदस्यों की अयोग्यता संबंधित याचिकाओं के लंबित रहने के दौरान सदन में कार्यवाही की क्या स्थिति है?

इन मुद्दों सहित कई और मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने उद्धव गुट और शिंदे गुट, महाराष्ट्र सरकार और राज्यपाल के वकीलों की दलीलों को सुना और फैसला सुरक्षित रख लिया। इस संविधान पीठ में भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति एमआर शाह, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी,न्यायमूर्ति हेमा कोहली और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा शामिल थे।

महाराष्ट्र में इस समय एक नाथ शिंदे की सरकार है, और भारत के निर्वाचन आयोग ने शिंदे गुट को ही असली शिवसेना मानते हुए शिवसेना का चुनाव चिन्ह और नाम शिंदे गुट को आवंटित कर दिया है।

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About the Author: Ashish Sinha

-Ashish Kumar Sinha -Editor Legally Speaking -Ram Nath Goenka awardee - 14 Years of Experience in Media - Covering Courts Since 2008

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