दिल्ली हाईकोर्ट ने 2019 जामिया हिंसा मामले में फैसला सुनाते हुए शरजील इमाम, आसिफ इकबाल तन्हा और सफूरा ज़रगर समेत 9 लोगों पर आइपीसी की धारा अलग अलग धाराओं के तहत आरोप तय किये है। कोर्ट ने फ़ैसले में कहा कि पहली नजर मे वीडियो मे दिखता है कि शरजील समेत अन्य लोग भीड की पहली लाइन मे खडे थे और पुलिस के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे और हिंसक तरीके से बैरिकेट को तोडने की कोशिश कर रहे थे। अभिव्यक्ति की आजादी या प्रर्दशन के अधिकार का हवाला देकर शांति भंग करने या सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाने की इजाजत नहीं दी जा सकती।
दरसअल दिल्ली पुलिस ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी है। साकेत कोर्ट इन सभी आरोपियों को बरी कर दिया था। दिल्ली पुलिस ने अदालत में कहा कि निचली अदालत ने जांच एजेंसी के खिलाफ टिप्पणियां पारित करके उसके क्षेत्राधिकार का उल्लंघन किया है, निचली अदलात की टिप्पणी को हटाया जाना चहिये
दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में कुछ वीडियो क्लिप चलाया और कहा कि अगर इस वीडियो क्लिप के आधार पर निचली अदालत उन छात्रों को बेगुनाह कह रही है तो हम उसका विरोध करते है।
दिल्ली पुलिस ने कहा कि तीसरी सप्लीमेंट्री चार्जशीट में घायलों का बयान है जिन्होंने आरोपियों की पहचान किया है।
जबकि शरजील इमाम के वकील ने कहा कि कोई वीडियो या किसी गवाह का बयान मेरे खिलाफ नहीं है, मेरे खिलाफ चार्जशीट में एक शब्द भी नहीं है।