मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में नामीबियाई चीते की मौत के एक दिन बाद सुप्रीम कोर्ट ने चीता कार्यबल के विशेषज्ञों से उनकी योग्यता और अनुभव के बारे में जानकारी मांगी। नामीबिया से आई फीमेल चीता साशा सोमवार सुबह कूनो नेशनल पार्क स्थित अपने बाड़े में मृत मिली थी। उसकी किडनी खराब थी और उसका इलाज चल रहा था।
जस्टिस बीआर गबई और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने केंद्र से टास्क फोर्स के उन विशेषज्ञों का विवरण प्रस्तुत करने को कहा जो चीता प्रबंधन के विशेषज्ञ हैं, उनसे उनका अनुभव और योग्यता दो सप्ताह के भीतर जमा करने को कहा है।
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की ओर से दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें केंद्र ने कोर्ट से यह निर्देश देने का अनुरोध किया था कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के लिए अब विशेषज्ञ समिति से दिशा-निर्देश और सलाह लेने की जरूरत नहीं है। इस विशेषज्ञ समिति का गठन सुप्रीम कोर्ट के 28 जनवरी, 2020 के आदेश पर किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वन्यजीव संरक्षण के पूर्व निदेशक एमके रंजीत सिंह, उत्तराखंड में मुख्य वन संरक्षक, वन्यजीव प्रशासन धनंजय मोहन और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में डीआईजी (वन्यजीव) की सदस्यता वाली तीन सदस्यीय समिति भारत में अफ्रीकी चीतों को लाए जाने पर एनटीीसीए का मार्गदर्शन करेगी।