लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फैजल की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा एक आपराधिक मामले में सजा और सजा के निलंबन से संबंधित मुद्दे पर एक विधायक और आम लोगों के लिए एक अलग नियम नहीं हो सकता है। न्यायमूर्ति केएम जोसेफ और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की खंडपीठ ने लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फैजल के खिलाफ मामले से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। अदालत ने कहा कि “यदि अदालत के समक्ष सामग्री के आधार पर प्रथम दृष्टया राय यह दर्शाती है कि यह बरी होने का मामला है तो दोषसिद्धि के निलंबन का तर्क दिया जा सकता है, सजा और सजा के निलंबन के लिए एक संसद सदस्य और विधान सभा के सदस्य के लिए एक अलग नियम नहीं हो सकता है।”
केरल उच्च न्यायालय ने उसकी सजा और सजा को निलंबित करते हुए कहा कि फैजल एक निर्वाचित प्रतिनिधि था और अगर उसकी सजा नहीं रुकी, तो सीट खाली हो जाएगी और चुनाव से सरकारी खजाने को नुकसान होगा। इस बीच कोर्ट ने इस बात से अवगत कराया कि फैजल की लोकसभा की सदस्यता बहाल कर दी गई है।अदालत ने केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें एर्नाकुलम में केरल उच्च न्यायालय द्वारा पारित 25 जनवरी, 2023 के अंतरिम आदेश को चुनौती दी गई थी। इससे पहले, केरल उच्च न्यायालय ने हत्या के प्रयास के एक मामले में लक्षद्वीप के सांसद और राष्ट्रवादी कांग्रेस नेता (एनसीपी) के नेता पीपी मोहम्मद फैजल और तीन अन्य की सजा और सजा को निलंबित कर दिया था। केरल उच्च न्यायालय ने हत्या के प्रयास के मामले में लक्षद्वीप की निचली अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली फैजल और अन्य की याचिका पर यह आदेश पारित किया। फैजल ने अर्जी दायर कर 10 साल कैद की सजा निलंबित करने की मांग की थी। इससे पहले कवारत्ती सत्र अदालत ने फैजल समेत 4 लोगों को दोषी करार दिया था।
इसके बाद, लक्षद्वीप के यूटी प्रशासन ने केरल उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया, जिसने हत्या के प्रयास के मामले में लक्षद्वीप के सांसद फैजल की सजा को निलंबित कर दिया था। याचिका में, लक्षद्वीप के केंद्र शासित प्रदेश ने 25 जनवरी, 2023 को एर्नाकुलम में केरल के उच्च न्यायालय द्वारा पारित अंतरिम आदेश को चुनौती दी। आक्षेपित अंतरिम आदेश के माध्यम से, उच्च न्यायालय ने मोहम्मद फैजल को सत्र न्यायालय, कवर्थी, केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप द्वारा दी गई दोषसिद्धि और सजा को आपराधिक अपील के निस्तारण तक निलंबित कर दिया है। साथ ही हाईकोर्ट ने अपील के निस्तारण तक अन्य आरोपियों की कैद की सजा पर भी रोक लगा दी है।