ENGLISH

दिल्ली हाई कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: बाथरूम में नहा रही महिला को देखना या झांकना, निजता का उल्लंघन

Peeping Tom

दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने एक ऐतिहासिक फैसले में कहा अगर कोई व्यक्ति बाथरूम में नहा रही महिला को देखने के लिए उसमें झांके तो इसे निजता के अधिकार का उल्लंघन हैं। जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा कि पवित्र धार्मिक स्थलों पर डुबकी लगाने की तुलना एक बंद बाथरूम से कतई नहीं की जा सकती जहां कोई महिला नहा रही हो। हालांकि, धार्मिक स्थलों पर भी यही अपेक्षा होती है कि ऐसी महिलाओं की तस्वीरें या विडियो न ली जाएं। अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों में भी यह उसकी निजता पर हमला करने जैसा होगा। ऐसी स्थिति में भी किसी व्यक्ति को महिला की तस्वीर लेने का अधिकार नहीं है, जैसा की आईपीसी की धारा-354सी (ताक-झांक) के तहत कहा गया है।

हाई कोर्ट ने आरोपी सोनू की अपील ठुकराते हुए कहा कि अदालतें अपराधों के सामाजिक संदर्भ को नज़रअंदाज नहीं कर सकतीं। अदालत ने कहा पीड़िता के पास गरीबी की वजह से घर के अंदर बाथरूम की सुविधा नहीं थी। ऐसे में सोनू का बाथरूम के अंदर झांकना, जिसमें दरवाजे की बजाए सिर्फ़ एक पर्दा टंगा था, निश्चित रूप धारा-354सी के तहत अपराध माना जाएगा। कोर्ट ने कहा कि इस तरह की हरकत निश्चित रूप से एक महिला के लिए शर्मिंदगी की वजह बनती है और वह लगातार इस खौफ में रहने लगती है कि बाथरूम में नहाते हुए उसे कोई देख रहा होगा।

हाई कोर्ट ने उपरोक्त टिप्पणी सोनू उर्फ बिल्ला नाम के एक शख्स की अपील खारिज करते हुए कहा। उसे आईपीसी की धारा-354सी के तहत दोषी ठहराते हुए एक साल कैद की सजा 2000 रुपये के जुर्माने के साथ सुनाई गई थी, जिसे दिल्ली हाई कोर्ट ने भी बरकरार रखा। सोनू पर आरोप था कि पीड़ित महिला जब कभी अपने घर के बाहर बाथरूम में नहाने के लिए जाती थी, आरोपी बहाने से वहां आकर बैठ जाता और बाथरूम में पीड़ित को नहाते हुए देखने के लिए झांकता था।

Recommended For You

About the Author: Ashish Sinha

-Ashish Kumar Sinha -Editor Legally Speaking -Ram Nath Goenka awardee - 14 Years of Experience in Media - Covering Courts Since 2008

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *