पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब महिला आयोग अध्यक्ष पद पर अगले आदेश तक नियुक्ति पर रोक लगाते हुए पंजाब सरकार व अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि पंजाब सरकार यदि नियुक्ति की प्रक्रिया जारी रखना चाहती है तो रख सकती है लेकिन नियुक्ति कोर्ट के आदेश के बिना नहीं होगी।
मनीषा गुलाटी ने पंजाब राज्य महिला आयोग की चेयरपर्सन के पद से हटाने के पंजाब सरकार के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट में मामला आने के बाद पंजाब सरकार ने गुलाटी को हटाने का आदेश वापस लिया था। बाद में पंजाब सरकार ने गुलाटी के सेवा विस्तार को रद्द करने की अधिसूचना जारी कर दी। इसके खिलाफ गुलाटी ने दोबारा याचिका दायर कर इसे रद्द करने का आग्रह किया था। याचिका में कहा गया कि सरकार बिना कोई कारण उनका सेवा विस्तार रद्द नहीं कर सकती।
कैप्टन अमरिंदर सिंह की अगुवाई वाली पूर्व कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में मार्च 2018 में मनीषा गुलाटी को चेयरपर्सन नियुक्त किया गया था। वर्ष 2020 में उनके कार्यकाल में तीन साल बढ़ा दिए गए थे। 20 फरवरी 2022 को वह भाजपा में शामिल हो गई थीं और अपने पद पर बनी हुई थीं। मनीषा गुलाटी ने कहा था कि जिस अथॉरिटी और एक्ट के तहत उन्हें नियुक्ति दी गई है, उसी के तहत उन्हें एक्सटेंशन भी दी जा सकती है। हाईकोर्ट की एकल बेंच ने उनकी याचिका को खारिज करते हुए पंजाब सरकार के आदेश पर मुहर लगा दी थी। अब सिंगल बेंच के आदेश को चुनौती देते हुए मनीषा गुलाटी ने खंडपीठ में अपील दाखिल की है।
गुलाटी की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया कि सरकार चाहे तो इस पद पर नियुक्ति प्रक्रिया को जारी रख सकती है लेकिन नियुक्ति हाईकोर्ट के आदेश के बिना नहीं होगी।