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लीला एंबियंस होटल-मनी लॉंड्रिंग केसः हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा सुनवाई से हुए अलग

Delhi High Court

दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा ने बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की उस याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया, जिसमें निचली अदालत के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें बैंक कर्ज से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में एंबिएंस ग्रुप के प्रमोटर कारोबारी राज सिंह गहलोत को जमानत दी गई थी।
न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा की पीठ ने बुधवार को इस मामले को अपने रोस्टर से हटा दिया और मामले को 10 मई के लिए एक अन्य पीठ के समक्ष सूचीबद्ध कर दिया। राज सिंह गहलोत को पिछले महीने दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने जमानत दे दी थी। यह मामला
पूर्वोत्तर दिल्ली के शाहदरा में एंबियंस होटल के निर्माण के लिए बैंकों के एक संघ द्वारा दिए गए कर्जों से संबंधित है।

28 जुलाई, 2021 को गिरफ्तार, गहलोत को पहले दिल्ली की एक अदालत ने चिकित्सा आधार पर अंतरिम जमानत दी थी, जिसे समय-समय पर बढ़ाया गया था और आज तक जारी रखा गया था।
ट्रायल कोर्ट में गहलोत का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता तनवीर अहमद मीर, शिखर शर्मा, वैभव सूरी, कार्तिक वेणु, सऊद खान, फहद खान, स्वाति खन्ना और यश दत्त ने किया।
गहलोत को जम्मू और कश्मीर बैंक कंसोर्टियम के खिलाफ बैंक धोखाधड़ी करने के आरोप में धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (पीएमएलए) के तहत गिरफ्तार किया गया था।
जांच एजेंसी के अनुसार, उसने राज्य एसीबी, जम्मू द्वारा अमन हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड (एएचपीएल) और उसके निदेशकों के खिलाफ फाइव-स्टार के निर्माण और विकास में मनी लॉन्ड्रिंग के लिए दर्ज प्राथमिकी के आधार पर पीएमएलए के तहत एक जांच शुरू की थी। यह माममला दिल्ली में यमुना स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स के पास स्थित ‘लीला एंबियंस कन्वेंशन होटल से संबंधित है।
ईडी ने पहले कहा था कि पीएमएलए के तहत एक जांच से पता चला है कि होटल परियोजना के लिए बैंकों के एक संघ द्वारा स्वीकृत 800 करोड़ रुपये से अधिक की ऋण राशि का एक बड़ा हिस्सा एएचपीएल और राज सिंह गहलोत और उनके सहयोगियों द्वारा गबन किया गया था।

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About the Author: Ashish Sinha

-Ashish Kumar Sinha -Editor Legally Speaking -Ram Nath Goenka awardee - 14 Years of Experience in Media - Covering Courts Since 2008

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