सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हुए न्यायमूर्ति एमआर शाह ने स्पष्ट किया है कि गुजरात के जिन न्यायिक अधिकारियों के प्रमोशन पर स्टे लगाया है उससे न्यायिक मजिस्ट्रेट हरीश हसमुखभाई वर्मा की पदोन्नत्ति पर कोई रोक नहीं लगी है। क्योंकि क्वालिफिकेशन कम सीनियरिटी मानदंड का पालन करने पर भी प्रमोशन के पात्र हैं।मीडिया द्वारा हाल ही में यह बताया गया था कि सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के जज की पदोन्नति पर रोक लगा दी थी, जिन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को उनके खिलाफ दर्ज मानहानि के मामले में दोषी ठहराया था।
सूरत के न्यायिक मजिस्ट्रेट हरीश हसमुखभाई वर्मा के प्रमोशन पर कथित रोक के मामले को राहुल गांधी को दोषी ठहराए जाने वाले मामले से भी जोड़ कर देखा गया था। सुप्रीम कोर्ट गुजरात उच्च न्यायालय के एक फैसले और बाद में 68 न्यायिक अधिकारियों को वरिष्ठता-सह-योग्यता नियम के आधार पर जिला न्यायाधीशों के पद पर पदोन्नत करने के लिए राज्य सरकार की अधिसूचना पर रोक लगा दी थी।
हालांकि, आदेश देने वाले सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश एमआर शाह ने स्पष्ट किया है कि उनके द्वारा पारित रोक को मीडिया द्वारा गलत तरीके से रिपोर्ट किया गया था। राहुल गांधी को दोषी ठहराने वाले न्यायाधीश इस रोक के दायरे में नहीं आएंगे।
ऐसा इसलिए है क्योंकि आदेश ने यह स्पष्ट कर दिया था कि यह रोक सूची में उन लोगों पर लागू नहीं होगी जो केवल योग्यता के आधार पर पदोन्नत होंगे, क्योंकि वे इसे तब भी करेंगे जब पदोन्नति योग्यता के आधार पर हुई हो।
जस्टिस एमआर शाह ने कहा कि, मैंने पढ़ा है कि राहुल गांधी केस में सूरत कोर्ट के जज को प्रमोशन नहीं मिल रहा है। यह भी सच नहीं है। उन्हें मेरिट के आधार पर प्रमोशन भी मिल रहा है। वह योग्यता के मामले में 68 में पहले स्थान पर हैं। न्यायमूर्ति शाह ने स्पष्ट किया है कि न्यायाधीश वर्मा स्टे के दायरे में नहीं आएंगे, क्योंकि योग्यता-सह-वरिष्ठता मानदंड का पालन करने पर भी वह पात्र हैं।