पश्चिम बंगाल की ममता सरकार को गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने द केरल स्टोरी पर लगे बैन को हटा दिया है।
दरअसल ममता सरकार ने आठ मई को आदेश जारी कर पश्चिम बंगाल में ‘द केरल स्टोरी’ फिल्म को दिखाए जाने पर रोक लगा दी थी। ‘द केरल स्टोरी’ के फ़िल्म निर्माताओं की याचीका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कानून का इस्तेमाल सार्वजनिक असहिष्णुता को बढ़ावा देने के लिए नहीं किया जा सकता है, वरना सभी फिल्मों को लेकर ऐसी ही स्थिति पैदा होगी। कानून-व्यवस्था कायम रखना राज्य का कर्तव्य है।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान यह भी कहा कि फिल्म को मिले प्रमाण-पत्र को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर कोई भी फैसला के लिए कार्यवाही से पहले वह ‘द केरल स्टोरी’ देखना चाहेगा।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने तमिलनाडु सरकार को फिल्म की स्क्रीनिंग और फिल्म देखने वालों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया। सुनवाई के दौरान फिल्म के निर्माताओं ने कहा कि वे फिल्म में अतिरिक्त डिस्क्लेमर जोड़ेंगे कि इसका कोई प्रामाणिक डेटा नहीं है कि परिवर्तित लोगों का आंकड़ा 32,000 या कोई अन्य आंकड़ा है।
वही इससे पहले द केरला स्टोरी’ फिल्म की तमिलनाडु में स्क्रीनिंग पर कथित रोक लगाए जाने के मामले में तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट मे हलफनामा दाखिल कर कहा था कि राज्य में ‘द केरला स्टोरी’ फिल्म दिखाने जाने पर ‘रोक जैसे हालात’ होने की फिल्म निर्माता की दलील ग़लत है। तमिलनाडु सरकार ने हलफनामे मे कहा है कि फ़िल्म की रिलीज पर कोई बैन नहीं लगाया गया है। 5 मई को ये फिल्म 19 मल्टीप्लेक्स में रिलीज भी हुई।
दरसअल पश्चिम बंगाल सरकार के इस फैसले के खिलाफ ‘द केरला स्टोरी’ के निर्माता सनशाइन प्रोडक्शन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। प्रोडक्शन ने अपनी याचिका में कहा था कि सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन ने मूवी का पास कर दिया तो क्यों नहीं दिखाय़ा जा रहा है?