महाराष्ट्र के ठाणे जिले की एक अदालत ने 2018 में अपनी बहन की 14 वर्षीय सहेली के साथ बलात्कार करने के लिए एक व्यक्ति को 10 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। सजा सुनाते हुए अदालत ने कहा कि अगर पीड़िता और आरोपी में प्रेम संंबंधों की बात मान भी ली जाए तो आरोपी को प्रेम के बहाने बलात्कार करने का लाईसेंस तो नहीं मिल गया था।
जिला एवं अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (कल्याण) पीआर अष्टुरकर ने यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत मामलों की सुनवाई करते हुए कहा कि नाबालिग लड़की को जीवन के नारकीय अनुभव” से गुजरना पड़ा है।
अदालत ने 18 मई को जारी आदेश में कहा, ”आरोपी ने प्रेम संबंध की दलील दी। लेकिन अदालत ने इसे प्रेमसंबंंध मानने से इंकार कर दिया और डोंबिवली इलाके के निवासी आरोपी पर 11,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया।
अभियोजन पक्ष ने अदालत को बताया कि पीड़िता और आरोपी एक ही मोहल्ले के रहने वाले हैं। पीड़िता आरोपी की बहन की सहपाठी थी.
16 मार्च 2018 को आरोपी पीड़िता से सड़क पर मिला और यह कहकर अपने घर ले गया कि उसकी बहन उससे मिलना चाहती है।
जब वे उसके घर पहुंचे तो आरोपी ने दरवाजा अंदर से बंद कर लिया और पीड़िता के साथ दुष्कर्म किया। अभियोजन पक्ष ने कहा कि उसने घटना के बारे में किसी को बताने पर गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी भी दी।
बाद में लड़की ने इस अपराध के बारे में अपनी मां को बताया जिसके बाद पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई। आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है और वह तब से जेल में है।
न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा कि आरोपी ने ‘प्रेम संबंध’ की दलील दी थी। “अगर इसे स्वीकार किया जाता है, तो यह जरूरी नहीं है कि उसे बलात्कार करने का लाइसेंस मिल जाए, वह भी एक नाबालिग पर। प्यार की स्वीकृति का मतलब यौन संबंधों के लिए इच्छा नहीं है। इसके विपरीत, आरोपी को प्रेमी होने के नाते क्या ऐसा करना चाहिए था।”
आरोपी ने पीड़िता का यौन शोषण किया। उसने उसकी उम्र या सहमति देने में असमर्थता के बारे में चिंता नहीं की। न्यायाधीश ने कहा, “उसने अपनी वासना के कारण पीड़िता का जीवन बर्बाद कर दिया।” अदालत ने कहा कि ऐसा कोई कारण दूर-दूर तक भी नहीं है जिससे यह संकेत मिले कि पीड़िता बिना किसी कारण के आरोपी के खिलाफ झूठा बयान दे रही है।
इसमें कहा गया है, “पीड़िता की गवाही, अन्य गवाहों के साथ मेडिकल साक्ष्य स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि उसके साथ यौन उत्पीड़न किया गया था।”
अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने आरोपी के खिलाफ उचित संदेह से परे सभी आरोपों को सफलतापूर्वक साबित कर दिया है, जिसके लिए उसे दोषी ठहराए जाने और सजा दिए जाने की जरूरत है।