हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने अमेठी एसएसपी इलामारनजी व दो पुलिस निरीक्षकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के सत्र न्यायालय के आदेश के अमल पर रोक लगा दी है। न्यायमूर्ति अजय कुमार श्रीवास्तव – प्रथम की एकल पीठ ने यह आदेश राज्य की ओर से दाखिल पुनरीक्षण याचिका पर दिया।
राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता विनोद कुमार शाही का कहना था कि सत्र अदालत का आदेश पूरी तरह अवैधानिक है। क्योंकि इसको पारित करने से पहले पुलिस अफसरों को सुनवाई का मौका नहीं दिया गया। यह आदेश, अभियुक्तों की डिस्चार्ज अर्जी पर सुनवाई के दौरान दिया गया। ऐसे में निचली अदालत का आदेश रद्द किए जाने योग्य है।
दरअसल,हत्या के एक मामले की विवेचना में कमियों की बात कहकर सुल्तानपुर के सत्र न्यायाधीश ने गत 16 मई को एसएसपी अमेठी समेत तफ्तीश करने वाले पुलिस इंस्पेक्टर परशुराम ओझा व उमाकांत शुक्ल के खिलाफ आपराधिक वाद दर्ज करने का आदेश दिया था। इस मामले में आरोप पत्र दाखिल होने के बाद अभियुक्तों ने सत्र अदालत में आरोपों से छूट देने की अर्जी पेश की।
इसपर सुनवाई के दौरान सत्र अदालत ने पाया की केस की तफ्तीश में कई कमियां थीं। इसको लेकर सत्र अदालत ने डिस्चार्ज अर्जी तो खारिज कर दी। साथ ही एसएसपी समेत विवेचना करने वाले इंस्पेक्टर के खिलाफ आपराधिक वाद दर्ज करने का आदेश दिया था।
जिसके खिलाफ राज्य सरकार ने पुनरीक्षण याचिका दायर कर चुनौती दी। जिसपर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पक्षकारों से दो हफ्ते में जवाब मांगा है। इसके बाद हफ्ते भर में सरकार की ओर से इसका प्रतिउत्तर दाखिल किया जा सकेगा। इस बीच कोर्ट ने 16 मई के सत्र अदालत के आदेश के संबंधित अंश के अमल पर रोक लगा दी।