छल प्रपंच,धोखाधड़ी और साजिश जैसे तमाम आरोपों में बंद यूपी पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति की ओर से दी गई दो अलग अलग जमानत अर्जियो को एमपीएमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश हरबंस नारायण ने ख़ारिज कर दिया। इसके पहले आरोपी गायत्री प्रजापति की ओर से अर्ज़ी देकर बताया गया कि हाई कोर्ट ने उसकी जमानत अर्ज़ी पर फिर से सुनवाई के लिए आदेश दिया है लिहाज़ा उसे जमानत दी जाये।
गायत्री प्रसाद प्रजापति को ज़िला अदालत से जमानत मिल गई थी जिसे सरकार ने हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी जिसपर हाईकोर्ट ने आरोपी पूर्व मंत्री की जमानत ख़ारिज करते हुए आरोपी के जमानत पर नये सिरे से सुनवाई करने का आदेश निचली अदालत को दिया था।
कोर्ट में दोनों जमानत का विरोध करते हुए सरकारी वकील ज्वाला प्रसाद ने बताया कि पहली रिपोर्ट दस सितम्बर 2020 को ग़ाज़ीपुर में दर्ज कराई थी। रिपोर्ट में आरोप था कि वादी चित्रकूट की रहने वाली महिला का वकील थी और महिला ने पूर्व में गायत्री प्रजापति समेत अन्य के खिलाफ दुष्कर्म की रिपोर्ट दर्ज कराई थी जिसमें वादी ने गायत्री की जमानत ख़ारिज कराई थी। इस मुकदमे में गायत्री प्रजापति के पक्ष में दुराचार पीड़िता का बयान कराने और पक्ष में शपथपत्र देने के लिए आरोपी और उसकी माँ ने जब वादी को कहा तो वादी ने इनकार कर दिया तो आरोपीयों ने झूठा मुक़दमा दर्ज कराने की धमकी दी और वादी की फ़ीस देने से इनकार कर दिया। वही यह भी आरोप है की वादी की गाड़ी ले लिया गया और उसका पैसा नहीं दिया गया।
वही दूसरी रिपोर्ट पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति की कंपनी के निदेशक रहे बृज भुवन चौबे ने 17 सितम्बर 2020 को गोमतीनगर विस्तार में आरोपी पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति, अनिल प्रजापति और चित्रकूट की महिला के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। रिपोर्ट में आरोप लगाकर बताया गया कि चित्रकूट की रहने वाली महिला ने पूर्व में गायत्री प्रजापति समेत अन्य के खिलाफ दुष्कर्म की रिपोर्ट दर्ज कराई थी और इस मुकदमे में गायत्री प्रजापति के पक्ष में दुराचार पीड़िता का बयान कराने के लिए आरोपियों ने वादी की पत्नी की गोमतीनगर विस्तार स्थित जमीन को धमकी देकर जबरन चित्रकूट निवासिनी दुराचार पीड़िता के नाम करवा दिया।