26 साल पहले हुए इंद्रपाल ढाका हत्याकांड में उम्रकैद की सजा पाए पूर्व विधायक सतेंद्र सोलंकी को हाईकोर्ट ने बरी कर दिया है। हत्याकांड में पूर्व विधायक सतेंद्र और उसके भाई हरेंद्र सोलंकी को मई 2019 में दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। दोनों पर 20 हजार रुपये का जुर्माना और पीड़ित परिवार को 5-5 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया था। सतेंद्र सोलंकी के भाई हरेंद्र की मौत हो चुकी है।
बागपत के ढिकोली गांव निवासी इंद्रपाल ढाका की 24 जून 1997 को मेरठ में जेल चुंगी के पास गोलियां मारकर हत्या कर दी गई थी। घटना में घायल हुए अशोक ने शपथ पत्र दिया था कि हत्याकांड को पूर्व विधायक सतेंद्र सोलंकी और उनके भाई हरेंद्र उर्फ बिल्लू सोलंकी ने संपत्ति विवाद के चलते अंजाम दिया था। पुलिस ने हरेंद्र को गिरफ्तार किया था, जबकि सत्येंद्र सोलंकी ने न्यायालय में आत्मसमर्पण किया था।
पीड़ित पक्ष के अधिवक्ता और मृतक के भाई अमरपाल ढाका ने मामले की सुनवाई किसी अन्य राज्य में कराए जाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई थी। उनका कहना था कि सतेंद्र सोलंकी विधायक रह चुके हैं, उनकी अपनी मजबूत पकड़ है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई मेरठ से पटियाला हाउस दिल्ली के लिए ट्रांसफर कर दी थी। मई 2019 में पटियाला हाउस कोर्ट ने सतेंद्र सोलंकी को दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
मुकदमे की सुनवाई के दौरान हरेंद्र सोलंकी की तिहाड़ जेल में मृत्यु हो गई थी। उम्रकैद की सजा को सतेंद्र सोलंकी ने उच्च न्यायालय दिल्ली में चुनौती दी थी। दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए अवर न्यायालय द्वारा सुनाई गई उम्रकैद की सजा को निरस्त करते हुए सतेंद्र सोलंकी को बरी करने के आदेश दिए। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता केके मेनन ने बताया कि पूर्व विधायक सतेंद्र सोलंकी को हाईकोर्ट ने दोषमुक्त करार दिया है।
मेरठ में कैंट इलाके की एक प्रापर्टी को लेकर इंद्रपाल की 17 गोलियां मारकर हत्या की गई थी। इंद्रपाल बागपत के गांव ढिकौली का रहने वाला था और सतेंद्र सोलंकी बागपत के जिमाना गुलियान गांव का रहने वाला था। दोनों ने मेरठ में अपनी प्रापर्टी खरीद ली थी और राजनीति में सक्रिय हो गए थे। इंद्रपाल ने साल 1996 में खेकड़ा से मदन भैया के सामने विधायक का चुनाव लड़ा था और उसे 17 हजार वोट मिले थे। कैंट इलाके में एक मकान को लेकर सतेंद्र सोलंकी का इंद्रपाल से विवाद हुआ था।
पुलिस ने बताया था कि सतेंद्र सोलंकी के बदमाशों से संपर्क थे। 24 जून 1997 को जेल चुंगी पर सतेंद्र और उसके भाई हरेंद्र सोलंकी ने इंद्रपाल और उसके साथी अशोक को घेर लिया। दोनों भाइयों ने इंद्रपाल पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाईं। इसमें इंद्रपाल को 17 गोली मारी गई थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में 11 गोली इंद्रपाल के शरीर से निकली थी।
बिनौली ब्लॉक के जिवाना गुलियान गांव निवासी सतेंद्र सोलंकी को साल 1993 में जनता दल ने बरनावा से टिकट दिया। नामांकन के बाद मतदान से कुछ दिन पहले ही जनता दल ने उनसे समर्थन वापस लेकर निर्दलीय सुधीर राठी को समर्थन दे दिया। सोलंकी जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़े, लेकिन भाजपा के त्रिपाल धामा के सामने वह करीब 187 वोट से हार गए। सोलंकी को साल 2007 में बरनावा सीट से रालोद ने टिकट दिया। यहां से पहली बार चुनाव जीतकर वह विधानसभा पहुंचे।
परिसीमन के बाद साल 2012 के चुनाव में बरनावा सीट खत्म हो गई और बड़ौत नई सीट बनी, लेकिन रालोद ने दोबारा सोलंकी को टिकट नहीं दिया। सोलंकी ने साल 2017 बसपा ज्वॉइन कर ली। उन्होंने मेरठ कैंट से चुनाव लड़ा। उन्हें 56 हजार वोट मिले और वह हार गए। इसके बाद साल 2019 के लोकसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान से पहले उन्होंने लखनऊ में भाजपा ज्वॉइन कर ली थी।