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सेवाकाल के आखिरी दिन दिल्ली हाईकोर्ट की जस्टिस मुक्ता गुप्ता ने सुनाए रिकॉर्ड 65 फैसले

Justice Mukta Gupta

दिल्ली हाईकोर्ट की महिला जज मुक्ता गुप्ता अपने सेवानिवृत्ति के कारण चर्चा में आ गईं। दरअसल उन्होंने अपने सेवानिवृत्ति से एक दिन पहले मृत्युदंड समेत कई आपराधिक मामलों में 65 फैसले सुनाए हैं। न्यायमूर्ति गुप्ता ने कुछ महीने पहले इस केसों की सुनवाई शुरू की थी। इनमें से कई मामले 2018-19 से हाईकोर्ट में लंबित थे। इस मामलों की सुनवाई पूरी होने के बाद अप्रैल और मई फैसले सुरक्षित रख लिए गए थे।

न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने न्यायमूर्ति पूनम बाम्बा की खंडपीठ में 55 फैसले और न्यायमूर्ति अनीश दयाल की खंडपीठ में 10 फैसले सुनाए हैं। इनमें से 42 फैसले मंगलवार सुबह तक दिल्ली हाईकोर्ट की वेबसाइट पर भी प्रकाशित हो चुके हैं।

जिन मुकदमों में फैसला सुनाया है, उनमें एक 12 साल के बच्चे की अपहरण के बाद हत्या का मामला भी शामिल है। पीठ ने 2021 में इस मामले में मौत की सजा पाए दोषी की सजा को कम कर दिया है। दरअसल अपहरण और फिरौती की मांग पूर्व नियोजित थी। इस मामले में बच्चे की हत्या को लेकिन यह अपराध रेयर और रेयरेस्ट की श्रेणी में नहीं आ सकता क्योंकि यह पूर्व नियोजित नहीं थे। अब जस्टिस गुप्ता की पीठ ने दोषी जीवक नागपाल की सजा को 20 साल तक बिना किसी छूट के आजीवन कारावास में बदल दिया है।
वहीं एक लड़के के साथ कथित तौर पर भागने पर अपनी ही 17 वर्षीय बेटी की हत्या के आरोपी पिता की सजा को पलट दिया है। बेंच का मानना है कि लड़की के कथित रूप से भागने और अपने माता-पिता के घर लौटने की टाइमलाइन को साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं थे।
एक अन्य मामले में बेंच ने सौतेली मां और भाई को बरी कर दिया जबकि 2003 में एक महिला को रसोई में जिंदा जलाने के मामले में पति की आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा है। पति की सजा को इस तथ्य के कारण बरकरार रखा गया कि वह भी जल गया था। उसके हाथ पर चोट लगी है, जबकि सास और जेठ को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया है।

दिल्ली हाईकोर्ट के जज के रूप में पदोन्नत होने से पहले मुक्ता गुप्ता ने दिल्ली में लोक अभियोजक थीं। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान बड़ी संख्या में आपराधिक केसों पर काम किया है। अभियोजक के रूप में जस्टिस गुप्ता ने जेसिका लाल, नैना साहनी और नीतीश कटारा हत्या मामलों समेत कई प्रसिद्ध आपराधिक मामलों पर मुकदमा चलाया।

वह 2001 में भारतीय संसद पर 2000 में हुए हमले, दिल्ली में लाल किले पर हुए आतंकवादी हमले से संबंधित आपराधिक मामलों को संभालने वाली अभियोजक भी थीं। गुप्ता ने कई अहम मामलों में केंद्रीय जांच ब्यूरो का भी प्रतिनिधित्व किया, जिसमें प्रियदर्शनी मट्टू और मधुमिता शर्मा की हत्या और भारतीय नौसेना युद्ध कक्ष से खुफिया जानकारी लीक होने का मामला भी शामिल है।

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About the Author: Ashish Sinha

-Ashish Kumar Sinha -Editor Legally Speaking -Ram Nath Goenka awardee - 14 Years of Experience in Media - Covering Courts Since 2008

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