दिल्ली के लाजपत नगर में 1996 में हुए बम धमाका प्रकरण में एक याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने चार दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। सुप्रीम कोर्ट ने उन दो आरोपियों को भी तत्काल सरैंडर करने का आदेश दिया है जो हाईकोर्ट से जमानत पर छूट गए थे। यह फैसला जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संजय करोल की बेंच ने दिया।
21 मई 1996 की शाम करीब पौने सात बजे लाजपत नगर के सेंट्रल मार्केट में लोग खरीदारी में व्यस्त थे। चारों तरफ रौनक ही रौनक थी। तभी एक जबर्दस्त बम धमाका हुआ। पल भर में वहां मातम छा गया। इस हादसे में 13 लोगों की जान गई और 38 लोग घायल हुए। धमाके के कारण लाजपत नगर मार्केट के आसपास की 14 दुकानें तबाह हो गईं। वहां खड़ी 8 कारें भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गईं। पुलिस ने दावा किया था कि इस ब्लास्ट को दाऊद इब्राहिम और टाइगर मेमन ने जेकेएलएफ के आतंकियों के जरिए कराया था।
इस संगठन की तरफ से विभिन्न मीडिया हाउसों को जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग के एक नंबर से फोन कर ब्लास्ट की जिम्मेदारी ली गई थी। पुलिस ने उस नंबर को ट्रेस कर लिया। पुलिस ने इस मामले में फारूक अहमद को गिरफ्तार किया। फारूक की मददगार फरीदा डार को भी गिरफ्तार कर लिया गया। फारूक के पास से पुलिस ने एक एके-56, 2 मैगजीन, 1.7 किलो आरडीएक्स और कुछ न्यूज पेपरों के नंबर बरामद किए। फारूक और फरीदा के अलावा मोहम्मद नौशाद, मिर्जा इफ्तिखार, मोहम्मद अली बट, लतीफ अहमद, मिर्जा निसार हुसैन, सैयद मकबूल शाह, जावेद अहमद खान और अब्दुल गनी को भी गिरफ्तार किया गया। नौशाद दिल्ली के तुर्कमान गेट इलाके का रहने वाला है। बाकी आरोपी जम्मू-कश्मीर के रहने वाले हैं।
इन 10 आरोपियों के खिलाफ 19 अगस्त 1996 को चार्जशीट दाखिल की गई, जबकि इसी मामले में टाइगर मेमन, दाऊद इब्राहिम व जेकेआईएफ चीफ बिलाल अहमद सहित अन्य आरोपियों को फरार बताया गया। ये आरोपी अभी तक पुलिस की गिरफ्त में नहीं आए हैं। पुलिस ने कुल 201 गवाहों की लिस्ट कोर्ट में पेश की। सरकारी वकील ने बताया कि आरोपियों ने पहले भी सेंट्रल मार्केट में ब्लास्ट कराने के इरादे से बम प्लांट किए थे, लेकिन तब कुछ तकनीकी कारणों से ब्लास्ट नहीं हो पाया। इसके बाद आरोपियों ने नेपाल से एक शख्स को बुलाया, जो ब्लास्ट करने में माहिर था। इस धमाके में केमिकल गैस का इस्तेमाल किया गया। फरीदा डार उर्फ बहनजी जेकेआईएफ के चीफ बिलाल अहमद की बहनथी। दरअसल, इस ब्लास्ट की साजिश बिलाल ने ही रची थी। धमाके के लिए बिलाल ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से संपर्क किया और उसने जम्मू-कश्मीर में अपने साथियों को ब्लास्ट को अंजाम देने की जिम्मेदारी दी। बिलाल के पाक अधिकृत कश्मीर में रहता है और वहीं से अपनी गतिविधियों को ऑपरेट करता है। बिलाल के लिए फारूक और फरीदा चीफ कोऑर्डिनेटर के रूप में काम करते थे।
लाजपत नगर आतंकी हमले में हताहत हुए लोगों के परिजनों न्याय के लिए 27 साल लंबा इंतजार करना पड़ा है। हालांकि पीड़ित परिवारों का कहना है कि आतंकियों को उम्रकैद की सजा कम है। उन्हें मृत्युदण्ड दिया जाना चाहिए था।