धर्म परिवर्तन कर इस्लाम और ईसाई धर्म अपनाने वाले दलितों को भी अनुसूचित जाति का दर्जा और आरक्षण का फायदा देने की संभावना और उनकी स्थिति की जांच करने के लिए केंद्र द्वारा गठित आयोग के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में शनिवार याचिका दाखिल की गई है।
याचिका में केंद्र सरकार द्वारा गठित आयोग को रद्द करने की मांग की गई है।
याचिकाकर्ता का कहना है कि, दलितों को ईसाई और इस्लाम धर्म अपनाने के बाद अनुसूचित जाति का दर्जा देने और संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश 1950 को चुनौती देने वाली याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट मे सुनवाई के लिए पेंडिंग हैं। याचिकाकर्ता ने मांग की है कि इस याचिक संबंधित याचिकाओं की जल्द से जल्द सुनवाई पूरी की जाए।
याचिका में कहा गया है कि मुख्य याचिका पहले से ही सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और यदि जस्टिस के जी बालाकृष्णन आयोग को जांच की इजाजत दी गई तो याचिका पर सुनवाई में और देरी हो सकती है।इस तरह की देरी से अनुसूचित जाति मूल के ईसाइयों और मुस्लिमों के अधिकारो का हनन होगा जिन्हें पिछले 72 सालों से अनुसूचित जाति के इस विशेषाधिकार से वंचित रखा गया है।
याचिका में दलील दी गई है कि धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों के लिए न्यायमूर्ति रंगनाथ मिश्रा आयोग की 2007 की रिपोर्ट ने इस्लाम और ईसाई धर्म में परिवर्तित दलितों को अनुसूचित जाति का दर्जा देने का समर्थन किया था।