सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पूजा स्थल अधिनियम को लेकर केंद्र सरकार को 31अक्तूबर तक जवाब दाखिल करने को कहा है। मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मामला विचाराधीन है और सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए कुछ और समय चाहिए। वही याचिकाकर्ता ने कहा इस मामले की सुनवाई के दौरान पहले भी केंद्र सरकार ने कई बार जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा है। हालाकि अदालत ने केंद्र को जवाब दाखिल करने के लिए 3 महीने का समय दे दिया है।
पूजा स्थल अधिनियम कानून को 18 सितंबर 1991 को लागू किया गया था। इसके मुताबिक 15 अगस्त 1947 को कोई भी उपासना स्थल जिस स्थिति में जिसके पास था उसे भविष्य में बदला नहीं जा सकेगा। हालांकि एएसआई की देखरेख वाली इमारतों और अयोध्या राम जन्मभूमि को इस मामले से अलग रखा गया था।
दरअसल ज्ञानवापी और मथुरा मामले में कई याचिकाएं कोर्ट में लगाई गई है। इसके कुछ याचिकाएं प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट से जुड़ी हैं। सुप्रीम कोर्ट में भी इस मामले से जुड़ी 6 याचिकाओं पर सुनवाई की जा रही है। सुब्रमण्यम स्वामी, सुप्रीम कोर्ट के वकील और बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय और विश्व भद्र पुजारी पुरोहित महासंघ की ओर से भी याचिकाएं दाखिल की हई है। वहीं सुन्नी मुस्लिम उलेमा संगठन की ओर से भी याचिका दाखिल की गई है। मुस्लिम संगठनों ने अपनी याचिका में
पूजा स्थल अधिनियम को सही ठहराया है और इसके खिलाफ दाखिल याचिकाओं को ख़ारिज करने को कहा है