दिल्ली आबकारी नीति मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सीबीआई और ईडी को जारी किया है। दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मामीष सिसौदिया 26 फरवरी 2023 से जेल में हैं। अदालत ने दोनों ही जांच एजेंसियों को 28 जुलाई तक जवाब दाखिल करने को कहा है।
गौरतलब है कि सीबीआई भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत आरोपों की जांच कर रही है, ईडी मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत कर रही है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने 3 जुलाई, 2023 को दोनों मामलों में मनीष सिसौदिया की जमानत खारिज कर दी। सिसौदिया की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ.अभिषेक मनु सिंघवी पेश हुए थे।
सीबीआई द्वारा सिसौदिया की गिरफ्तारी की घटनाओं की श्रृंखला जुलाई 2022 में शुरू हुई जब दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार ने एक रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसमें सिसौदिया पर रिश्वत के बदले शराब की दुकान के लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ देने का आरोप लगाया गया। इन फंडों का इस्तेमाल कथित तौर पर उस साल फरवरी में पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी (आप) द्वारा किया गया था।
सीबीआई ने दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति 2021-2022 के संबंध में एक प्राथमिकी दर्ज की, जिसमें 15 लोगों में से मुख्य व्यक्ति के रूप में सिसोदिया का नाम लिया गया। एफआईआर में कहा गया है कि सिसौदिया ने अन्य अधिकारियों के साथ मिलकर आवश्यक अनुमोदन के बिना उत्पाद नीति के संबंध में सिफारिशें कीं और निर्णय लिए। उन पर टेंडर प्रक्रिया के बाद लाइसेंसधारियों को लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया गया था। एफआईआर में विजय नायर, मनोज राय, अमनदीप ढल और समीर महेंद्रू जैसे व्यक्तियों को भी शामिल किया गया है, जिन्होंने उत्पाद शुल्क नीति के निर्माण और कार्यान्वयन से संबंधित अनियमितताओं में शामिल होने का आरोप लगाया है।एफआईआर से पता चला कि कुछ लाइसेंस धारक सरकारी कर्मचारियों को धन हस्तांतरित करने के इरादे से खुदरा विक्रेताओं को क्रेडिट नोट जारी कर रहे थे, साथ ही उनके खातों में हेरफेर भी कर रहे थे।अगस्त 2022 में, सीबीआई ने मामले के सिलसिले में सिसोदिया के आवास पर छापेमारी की।