सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर बिहार की राजधानी पटना में विरोध प्रदर्शन के दौरान भाजपा नेता की हुई मौत की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने की मांग की गई है। 13 जुलाई को पटना में बिहार सरकार की शिक्षक भर्ती नीति के खिलाफ बीजेपी के विरोध मार्च के दौरान जहानाबाद के एक भाजपा नेता की मौत हो गई थीं।
जहानाबाद के एक भाजपा नेता की कथित तौर पर पुलिस लाठीचार्ज के दौरान मौत हो गई, जब वह बिहार सरकार की शिक्षक भर्ती नीति के खिलाफ अपनी पार्टी के विरोध मार्च में भाग ले रहे थे, जिसमें शिक्षकों की भर्ती के लिए अधिवास की आवश्यकता को खत्म कर दिया गया था। अधिवक्ता बरुण सिन्हा के माध्यम से भूपेश नारायण द्वारा दायर जनहित याचिका में 13 मार्च को हुए अपराध की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) जांच की मांग की गई।
बीजेपी के जहानाबाद जिले के महासचिव विजय कुमार सिंह की पार्टी के विरोध मार्च के दौरान मौत हो गई। सिंह विरोध स्थल से बमुश्किल 500 मीटर की दूरी पर छज्जू बाग में बेहोश पाए गए। इसमें घटना के संबंध में पटना की स्थानीय पुलिस द्वारा दर्ज की गई सभी प्राथमिकियों को अपने कब्जे में लेने के लिए जांच एजेंसी को निर्देश देने की मांग की है। याचिका में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, पुलिस महानिदेशक और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की भूमिका की जांच करने की मांग की गई है। याचिका में आरोप लगाया गया है की भारतीय जनता पार्टी द्वारा आयोजित शांतिपूर्ण जुलूस के दौरान घटना के असली अपराधियों को बचाने में राज्य सरकार लगी हुई है।’
याचिका में कहा गया है कि भारतीय नागरिकों के खिलाफ सत्ता का दुरुपयोग व्यक्तिगत मौलिक अधिकारों का गंभीर उल्लंघन और सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा है। इसमें कहा गया है कि सरकार का यह सुनिश्चित करना कर्तव्य है कि जनता को अपराधियों, इन आपराधिक कार्यों के पैमाने और प्रभाव और मौलिक अधिकारों के उल्लंघन और ऐसी आगे की घटनाओं को रोकने के लिए किए गए उपायों के बारे में सूचित किया जाए। याचिका में कहा गया है, “लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में व्यक्तियों की भागीदारी इसकी निष्पक्षता और अखंडता पर निर्भर करती है।