सुप्रीम कोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड को बड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के गुजरात दंगों से संबंधित साक्ष्य गढ़ने के मामले में उन्हें नियमित जमानत दे दी।आदेश सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘गुजरात हाई कोर्ट के आदेश को रद्द किया जाता है। अदालत ने अपने आदेश में कहा की तीस्ता गवाहों को प्रभावित करने का प्रयास नहीं करेगी
एएसजी एसवी राजू ने अदालत को बताया कि आरोपी द्वारा सुरक्षा का दुरुपयोग किया जा सकता है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘अगर अभियोजन पक्ष को लगता है कि किसी गवाह को प्रभावित करने का कोई प्रयास किया गया है, तो राज्य हमारे संशोधन के लिए इस अदालत के समक्ष सीधे एक आवेदन दायर करने के लिए स्वतंत्र होगा। अदालत ने कहा हम स्पष्ट करते हैं कि आक्षेपित आदेश में या हमारे द्वारा की गई इनमें से कोई भी टिप्पणी सुनवाई के चरण में ट्रायल कोर्ट को प्रभावित नहीं करेगी।’
तीस्ता सीतलवासद को गिरफ्तारी से सुरक्षा के मामले की सुनवाई जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस दीपांकर दुउता की पीठ ने की। सीतलवाड को जून 2022 में गुजरात पुलिस ने 2002 के गुजरात दंगों से संबंधित ‘गढ़े सबूत’ के आरोप में गिरफ्तार किया था, जिसका उद्देश्य मुस्लिम विरोधी हिंसा में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को फंसाना था। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल जनहित याचिका खारिज कर दी थी और सीतलवाड पर ‘प्रक्रिया के दुरुपयोग’ के लिए मुकदमा चलाने का सुझाव दिया था।
दो महीने जेल में बिताने के बाद उन्हें अंतरिम जमानत पर रिहा कर दिया गया, लेकिन नियमित जमानत की उनकी याचिका 1 जुलाई, 2023 को गुजरात उच्च न्यायालय ने खारिज कर दी थी।