सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अलगाववादी नेता यासीन मलिक की कोर्ट में व्यक्तिगत पेशी पर गहरी नाराजगी जताई। मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब वर्चुअल तरीके से पेशी हो सकती है तो फिर जेल से यासीन को क्यों लाया गया ? इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा जब अदालत ने यासीन को पेश करने का आदेश नहीं दिया है।
वही एसजी तुषार मेहता ने कहा यासीन मलिक व्यक्तिगत तौर पर आए है, जबकि गृह मंत्रालय का आदेश है कि वह जेल से बाहर नहीं आ सकते। इतना ही नहीं तुषार मेहता ने कहा कि गृह मंत्रालय ने अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 268 के तहत यासीन मलिक को जेल से बाहर नहीं ले जाने का आदेश पारित किया था।
वही मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने निजी कारणों का हवाला देते हुए खुद को सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। जिसके बाद इस मामले को अब मुख्य न्यायधीश पास भेजा गया है।अब चार हफ्ते बाद मामले की सुनवाई होगी।
दरअसल, 1990 में वायुसेना अधिकारियों की हत्या के मामले में जम्मू-कश्मीर की एनआइए कोर्ट ने मलिक को क्रॉस एग्जामिनेशन के लिए पेश करने को कहा है। सीबीआई इसका विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुंची है।