
मणिपुर का मामला एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है। इस बार मणिपुर में महिलाओं के यौन उत्पीडन और हिंसा की घटनाओं का जिक्र करते हुए याचिका दाखिल की गई है। याचिका में मणिपुर की घटनाओं की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज की अध्यक्षता में स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति के गठन की मांग की गई है। याचिका में यह आग्रह भी किया गया है कि सभी प्रकरणों की 4 हफ्ते के भीतर जांच करवाई जाए और कानून व्यवस्था के बारे में वर्तमान रिपोर्ट मांगी जाए।
एडवोकेट विशाल तिवारी की ओर से दाखिल याचिका में सभी मामलों की जांच सीबीआई से करवाने का आग्रह किया गया है। याचिका में ललिता कुमारी के मामले में निर्धारित कानून का पालन करने में विफल रहने के लिए राज्य एजेंसियों को कर्तव्य में लापरवाही के लिए निर्देश जारी करने की भी मांग की है
याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि मणिपुर में कानून लागू करने वाली एजेंसियों की रोकथाम और सुधार में कोई भागीदारी नहीं होने के कारण मणिपुर में महिलाओं पर यौन हमले, बलात्कार, छेड़छाड़, गोलीबारी, बम विस्फोट, दंगों के मामले सामने आए हैं।
इससे पहले महिलाओं के साथ यौन अपराध का वीडियो वायरल होने पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए केंद्र और मणिपुर सरकार से अपराधियों को जवाबदेह ठहराने के लिए उठाए गए कदमों के संबंध जवाब देने को कहा था।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी और एसजी तुषार मेहता को तलब करते हुए घटना के संबंध में गहरी नाराजगी व्यक्त की थी और सरकारों को अल्टीमेटम दिया था कि या तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए वरना अदालत दखल देगी।
इस घटना को “पूरी तरह से अस्वीकार्य” बताते हुए सीजेआई ने आगे कहा था कि लैंगिक हिंसा को कायम रखने के लिए सांप्रदायिक संघर्ष के क्षेत्र में महिलाओं को एक साधन के रूप में इस्तेमाल करना मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन और अतिक्रमण है। उन्होंने कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वीडियो हालिया है और मई का है,यह सत्य है कि महिलाओं के साथ ज्यादती हुई है।