सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि पश्चिम बंगाल में रामनवमी के दिन हुई हिंसा की जांच एनआईए करेगी। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से पश्चिम बंगाल की ममता सरकार को बहुत बड़ा झटका लगा है। इससे पहले कलकत्ता हाईकोर्ट भी रामनवमी हिंसा मामले की जांच एनआईए से कराने का फैसला सुना चुका था। पश्चिम बंगाल सरकार ने कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएसपी दाखिल की थी।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा, ‘हम विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं।’
पश्चिम बंगाल सरकार ने जांच को एनआईए को स्थानांतरित करने के उच्च न्यायालय के आदेश की आलोचना करते हुए कहा था कि किसी भी विस्फोटक का इस्तेमाल नहीं किया गया था। पश्चिम बंगाल सरकार के वकील ने यह भी कहा कि कलकत्ता हाईकोर्ट का आदेश राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी द्वारा दायर की गई “राजनीति से प्रेरित” जनहित याचिका पर दिया गया था।
दरअसल, 27 अप्रैल को, उच्च न्यायालय ने रामनवमी समारोह के दौरान और उसके बाद हावड़ा के शिबपुर और हुगली जिलों के रिशरा में हिंसा की घटनाएं हुई थीं। इन घटनाओं में विदेशी संदिग्धों की संलिप्तता का आरोप लगाते हुए सुवेंदू अधिकारी ने एनआईए से जांच की मांग की थी। जिस पर कलकत्ता हाई कोर्ट ने सभी संबंधित पक्षों के तर्कों को सुनने के बाद जांच एनआईए को सौंपे जाने के आदेश दिए थे।
उच्च न्यायालय ने राज्य पुलिस को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि आदेश की प्रति प्राप्त होने की तारीख से दो सप्ताह के भीतर सभी एफआईआर, दस्तावेज, जब्त सामग्री और सीसीटीवी फुटेज एनआईए को सौंप दिए जाएं। दरअसल, 30 मार्च से 3 अप्रैल के बीच 4 पुलिस स्टेशंस में 6 एफआईआर दर्ज की गई थीं।
बहस के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार कुछ खास अपराधियों को बचाने के लिए एनआईए जांच का विरोध कर रही है। और हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी एनआईए को राज्य सरकार ने कोई भी दस्तावेज सुपुर्द नहीं किया है। इसके जवाब में पश्चिम बंगाल सरकार की ओर पेश हुए वकील गोपाल शंकर नारायण ने कहा कि ये आरोप दुर्भाग्यपूर्ण है कि हम किसी को बचा रहै हैं। राज्य सरकार द्वारा गिरफ्तार किए गए आरोपी हर समुदाय के हैं।
बंगाल सरकार के वकील ने कहा कि कोर्ट को ये देखना चाहिए की अगर वो विस्फोटक थे तो कितने लोग उससे घायल हुए । दरअसल वो स्मॉग बम थे। राज्य के अधिकारियों की जांच पर भरोसा न करना भी दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने यह भी कहा कि रामनवमी जुलूस के दौरान चार दिनो मे 6 घटनाएं हुईं। हाईकोर्ट ने एक एफआईआर मे जांच के आदेश दिया लेकिन NIA ने कुल 6 एफआईआर की जांच करने की बात अपने नोटिफिकेशन में कही है। बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार के वकील की सारी दलीलें ठुकरा दीं और कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश पर दखल देने से इंकार कर दिया।