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रामपुर तिराहा मामला: कोर्ट ने 30 साल बाद दर्ज किया पीड़िता का बयान

Rampur Tiraha Case

ये दशकों पहले की कहानी है। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी। मुलायम सिंह मुख्यमंत्री थे।अलग उत्तराखंड बनाने का आंदोलन उग्र था। इस आंदोलन के दौरान एक महिला दो पुलिसकर्मियों का शिकार बन गई। मामला दर्ज हुआ।दोनों पुलिसकर्मी जेल गये। चौंकाने वाली सच्चाई यह है कि घटना के 30 साल बाद, पीड़िता का बयान अब आकर मंगलवार 25 जुलाई 2023 को अदालत में दर्ज किया गया है।

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने रामपुर तिराहा कांड से संबंधित पीड़िता को अपर जिला सत्र न्यायाधीश शक्ति सिंह के समक्ष पेश किया। दोनों आरोपी, जो सेवानिवृत्त हो चुके हैं और फिलहाल जमानत पर हैं, भी अदालत में मौजूद थे।

रामपुर तिराहा मामला 2 अक्टूबर 1994 का है, जब मुजफ्फरनगर में विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस गोलीबारी में छह लोगों की मौत हो गई थी और उत्तराखंड की कई महिला कार्यकर्ताओं के साथ कथित तौर पर बलात्कार किया गया था। कार्यकर्ता विरोध प्रदर्शन करने और उत्तराखंड को राज्य का दर्जा देने की मांग करने के लिए ऋषिकेश से दिल्ली जा रहे थे।

इस घटना के संबंध में सीबीआई ने पुलिस के खिलाफ कई मामले दर्ज किए थे। ऐसे ही एक मामले में उत्तराखंड के श्रीनगर इलाके की एक महिला अदालत में पेश हुई और कथित सामूहिक बलात्कार के बारे में अपना बयान दिया। कोर्ट ने अगली सुनवाई 2 अगस्त के लिए तय की है।

गौरतलब है कि उत्तराखंड की स्थापना 9 नवंबर, 2000 को उत्तर प्रदेश से अलग होकर एक अलग राज्य के रूप में हुई थी।

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About the Author: Ashish Sinha

-Ashish Kumar Sinha -Editor Legally Speaking -Ram Nath Goenka awardee - 14 Years of Experience in Media - Covering Courts Since 2008

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