सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बिहार के पूर्व लोकसभा सांसद प्रभुनाथ सिंह को एक सितंबर को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत के सामने पेश होने की इजाज़त दे दी है। सुप्रीम कोर्ट एक सिंतबर को 1995 के दोहरे हत्याकांड मामले में प्रभुनाथ सिंह को दी जाने वाली सजा की अवधी पर फ़ैसला सुना सकती है।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने 18 अगस्त को पूर्व सांसद को दोषी ठहराते हुए उन्हें एक सितंबर को शारीरिक रूप से पेश होने का आदेश दिया था। उस दिन अदालत सजा को लेकर दलीलें सुनेंगी और उम्मीद है उसी दिन अदालत फैसला भी सुना सकती हैं
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 18 अगस्त को बिहार के सिवान जिले के महाराजगंज से कई बार के पूर्व सांसद सिंह को हत्या के मामले में बरी करने के निचली अदालत और पटना उच्च न्यायालय के फैसले को रद्द कर दिया था।प्रभुनाथ सिंह ने जद (यू) और राजद सांसद दोनों के रूप में महाराजगंज का प्रतिनिधित्व किया है।
18 अगस्त को अदालत ने अपने फैसले में कहा था, वह एक ऐसे मामले से निपट रही है जो हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली का एक असाधारण दर्दनाक प्रकरण था और निचली अदालत और पटना उच्च न्यायालय के उन्हें बरी करने के आदेश को पलटते हुए सिंह को मामले में दोषी ठहराया था।
दरअसल,1995 में आरोप लगा था कि पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह ने अपने कहे अनुसार वोट नहीं देने पर छपरा के मसरख इलाके के रहने वाले राजेंद्र राय (47) और दारोगा राय (18) की हत्या करवा दी थी। आरोप था कि इन लोगों ने प्रभुनाथ सिंह समर्थित प्रत्याशी को अपना वोट नहीं दिया था। हालांकि 2008 में सबूतों अभाव में यहां से पूर्व सांसद को रिहाई मिल गई थी।
इसके बाद यह मामला पटना हाईकोर्ट में पहुंचा। 2012 में पटना हाईकोर्ट में जब मामला गया तो यहां पर निचली अदालत के फैसले को सही माना। इस फैसले के खिलाफ़ राजेंद्र राय के भाई ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।