ENGLISH

अनुच्छेद 370: प्रोफेसर जफूर अहमद भट्ट के निलंबन के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने उठाए सवाल, केंद्र से कहा पता करिए निलंबन की वजह

सोमवार को अनुच्छेद 370 पर बहस के दौरान सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने समक्ष कपिल सिब्बल ने लेक्चरर जफूर अहमद भट्ट के निलंबन का मुद्दा उठाया।
सिब्बल ने कहा कि भट्ट ने कोर्ट में पेश होने के लिए दो दिनों की छुट्टी ली थी, लेकिन वह वापस जाते ही सस्पेंड हो गए थे। उन्होंने कहा, ‘यह ठीक नहीं है। मुझे भरोसा है कि एजी इस मामले को देखेंगे।’ अदालत में मौजूद सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया यानी एसजी तुषार मेहता ने भी निलंबन से जुड़े दस्तावेज कोर्ट में पेश करने की बात कही।

एसजी तुषार मेहता ने कहा, ‘मैंने अखबारों में पढ़ने के बाद इसकी जानकारी जुटाई है। अखबारों में जो कहा जा रहा है वो शायद पूरा सच नहीं हो सकता है।’ उन्होंने कहा, ‘कुछ और भी मुद्दे हैं। वह कई अदालतों में पेश हुआ है और कुछ और मुद्दे भी हैं। हम इसे कोर्ट के सामने पेश कर सकते हैं।’ इसपर सिब्बल ने उनसे पूछा , ‘तो फिर उसे पहले ही सस्पेंड किया जाना था, पर अब क्यों? यह ठीक नहीं है। यह लोकतंत्र के काम करने का तरीका नहीं होना चाहिए।’उन्होंने एसजी मेहता के दखल देते ही 25 अगस्त को जारी निलंबन आदेश पेश कर दिया।

इस पर मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘कोई व्यक्ति जो इस कोर्ट के सामने पेश हुआ है, वह सस्पेंड हो गया?।’ सीजेआई ने एजीआर वेंकटरमणी से इस मामले का पता लगाने लिए कहा है। उन्होंने कहा, ‘उपराज्यपाल से बात कीजिए और देखिए कि क्या हुआ है। अगर इससे कुछ अलग है, तो और बात है। लेकिन यह सब मामले में पेश होने के थोड़े समय बाद ही क्यों हुआ।’ संवैधानिक बेंच में शामिल जस्टिस कौल ने कहा कि इस मामले में टाइमिंग ठीक नहीं है। साथ मौजूद जस्टिस गवई ने भी सवाल पूछा, ‘इतनी आजादी का क्या हुआ?’

दरअसल जफूर अहमद भट्ट ने अनुच्छेद 370 हटाए जाने के तरीके पर सवाल उठाए थे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वह छात्रों को भारतीय संविधान और लोकतंत्र की बातें बताने में मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कोर्ट को बताया, ‘जब हम जम्मू और कश्मीर के हमारे छात्रों को इस संविधान के सिद्धांत और को पढ़ाने के लिए जाते हैं, तो यह मेरे जैसे शिक्षकों के लिए काफी चुनौती है। छात्र कई बार बड़े मुश्किल सवाल पूछते हैं, जैसे क्या हम अगस्त 2019 को जो हुआ, उसके बाद भी लोकतंत्र में हैं। इसका जवाब देना मेरे लिए काफी मुश्किल हो जाता है।’

जम्मू-कश्मीर सरकार ने कथित तौर पर जहूर अहमद को सरकार के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में पेश होने और 5 अगस्त, 2019 के फैसलों के खिलाफ दलील देने की वजह से निलंबन का आदेश पारित कर दिया था।
स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव आलोक कुमार के आदेश के मुताबिक, ‘राजनीति विज्ञान के वरिष्ठ प्रोफेसर को जम्मू-कश्मीर सरकारी कर्मचारियों के प्रावधानों के उल्लंघन के लिए तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है।

Recommended For You

About the Author: Neha Pandey

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *